मंदसौर: मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में आज एक नई शुरुआत हो रही है। कूनो नेशनल पार्क से एक मादा चीता, धीरा, 300 किलोमीटर की यात्रा करके यहां आ रही है। उसे यहां प्रभाष और पावक नाम के दो दक्षिण अफ्रीकी नर चीतों के साथ रखा जाएगा। यह कदम कूनो के बाहर चीतों के प्राकृतिक संबंध और प्रजनन को बढ़ावा देने के लिए उठाया जा रहा है। यह प्रोजेक्ट चीता की तीसरी वर्षगांठ भी है।
दक्षिण अफ्रीका से आई थी 'धीरा'
धीरा उन 12 चीतों में से एक है जिन्हें फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका के वाटरबर्ग बायोस्फीयर रिजर्व से लाया गया था। गांधी सागर में वह पहली मादा चीता होगी। कूनो में अब 14 भारत में जन्मे शावकों सहित 24 चीते हैं। प्रभाष और पावक के साथ धीरा गांधी सागर की संस्थापक आबादी बनाएगी।
कई महीनों से चल रही तैयारी
गांधी सागर में कई महीनों से तैयारी चल रही है। शिकार के लिए जानवरों की संख्या बढ़ाई गई है, बाड़ लगाई गई है और निगरानी प्रणाली लगाई गई है। वन विभाग की टीमें धीरा को सैटेलाइट कॉलर और ग्राउंड पेट्रोलिंग के माध्यम से बारीकी से देखेंगी।
2022 में शुरु हुआ था प्रोजेक्ट चीता
प्रोजेक्ट चीता 17 सितंबर, 2022 को शुरू हुआ था। तब नामीबिया से आठ चीते (पांच मादा और तीन नर) लाए गए थे। यह दुनिया में पहली बार हुआ था कि बड़ी बिल्लियों को एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में ले जाया गया था। फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते लाए गए, जिनमें धीरा भी शामिल थी।
पहले 'धीरा' की जगह आने वाली थी 'नाभा'
हाल ही में, नाभा नाम की एक नामीबियाई मादा चीता को स्थानांतरित करने की योजना थी, लेकिन उसकी मृत्यु हो गई। अधिकारियों का कहना है कि इससे कार्यक्रम की चुनौतियां सामने आई हैं। अधिकारी मध्य प्रदेश में चीतों की संख्या बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इसके बाद उन्हें पड़ोसी राज्य राजस्थान के साथ साझा किया जाएगा।