बंगाल में SIR पर अभिषेक बनर्जी की भाजपा और EC को चेतावनी, बोले- अगर एक भी वोटर कटे तो होगा बड़ा आंदोलन

कोलकाता । तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी (Abhishek Banerjee) ने पश्चिम बंगाल (West Bengal) में मतदाता सूची (voter list) के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की घोषणा को लेकर मंगलवार को भाजपा (BJP) और निर्वाचन आयोग ( Election Commission) पर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कवायद वास्तविक मतदाताओं को बाहर करने और 2026 के राज्य चुनावों से पहले राजनीतिक संतुलन को बिगाड़ने के लिए की गई है। अभिषेक ने इस पहल को साइलेंट इनविजिबल रिगिंग (एसआईआर) बताते हुए दावा किया कि इसे मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए डिजाइन किया गया है।

बनर्जी ने दावा किया कि एसआईआर का आदेश केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा दिया गया था। उन्होंने कहा कि भाजपा के सहयोगी संगठन, निर्वाचन आयोग ने कल एसआईआर की घोषणा की है। यह प्रक्रिया (नाम) शामिल करने की नहीं, बल्कि बाहर करने के बारे में है। डायमंड हार्बर के सांसद ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण के समय पर कटाक्ष करते हुए एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि केवल डेढ़ साल पहले ही लोकसभा चुनाव हुए थे। अगर अब मतदाता सूची में विसंगतियां हैं, तो लोकसभा भंग कर नए चुनाव कराए जाने चाहिए।

तृणमूल कांग्रेस में दूसरे नंबर की हैसियत रखने वाले बनर्जी ने इस आरोप को भी खारिज कर दिया कि बांग्लादेश से घुसपैठ और रोहिंग्याओं के बंगाल में प्रवेश के कारण संशोधन की जरूरत पड़ी। उन्होंने पूछा कि पांच पूर्वोत्तर राज्य बांग्लादेश और म्यांमा के साथ सीमा साझा करते हैं। तो फिर बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की मौजूदगी का हवाला देते हुए केवल पश्चिम बंगाल में ही एसआईआर की घोषणा क्यों की जा रही है?

सत्यापन कार्य के लिए निर्वाचन आयोग की समयसीमा को चुनौती देते हुए बनर्जी ने कहा कि 2002 में, एसआईआर बंगाल में दो साल की अवधि में किया गया था। निर्वाचन आयोग इस विशाल कार्य को एक या दो महीने में कैसे पूरा कर लेगा? उन्होंने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले राज्य प्रशासन पर नियंत्रण करना चाहता है ताकि सरकार काम न कर सके।

टीएमसी नेता ने मंगलवार सुबह पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में नागरिकता के मुद्दे को लेकर कथित तौर पर दहशत के कारण एक व्यक्ति की मौत के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि एनआरसी के खतरे को लेकर चिंता के कारण पनिहाटी निवासी प्रदीप कर की मृत्यु हो गई और इसके लिए अमित शाह और ज्ञानेश कुमार जिम्मेदार हैं। अपने सुसाइड नोट में उन्होंने एनआरसी और एसआईआर को लेकर चिंता को वजह बताया है। उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए।

अभिषेक बनर्जी ने कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि यदि एक भी पात्र मतदाता का नाम हटाया गया तो बंगाल के एक लाख लोग दिल्ली में निर्वाचन आयोग कार्यालय के बाहर धरना देंगे। तृणमूल नेता ने जोर देकर कहा कि एसआईआर के बावजूद अगले साल विधानसभा चुनावों में पार्टी की सीटों की संख्या बढ़ेगी।