पहलगाम हमले के बाद तबाह लश्कर मुख्यालय को पाक सेना-सरकार दे रही करोड़ों की फंडिंग

5 फरवरी 2026 तक नया LeT मुख्यालय तैयार करने का लक्ष्य, कश्मीर एकजुटता दिवस पर उद्घाटन योजना

नई दिल्ली। पहलगाम हमले के बाद भारत की कार्रवाई 'ऑपरेशन सिंदूर' में तबाह हुए लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के मुरीदके स्थित मुख्यालय को पाकिस्तान फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रहा है। खुफिया इनपुट के अनुसार पाकिस्तानी संस्थानों से होने वाली फंडिंग के सहारे मरकज़ तैयबा का रेनोवेशन तेज गति से चल रहा है।

मुख्य बातें
• खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक मुरीदके स्थित मरकज़ तैयबा के कुछ हिस्सों को पुनर्निर्मित करने के लिए सरकारी और सैन्य स्रोतों से फंडिंग की जा रही है।
• 22 अप्रैल 2025 के पहलगाम हमले के जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत मरकज़ पर एयरस्ट्राइक कर भारी नुकसान पहुंचाया था; उस हमले में मुख्यालय का करीब 70% भाग मलबे में तब्दील हो गया था।
• रिपोर्टों में कहा गया है कि पुनर्निर्माण की शुरुआती फंडिंग लगभग 4 करोड़ पाकिस्तानी रुपये बताई जा रही है और कुल व्यय का अनुमान करीब 15 करोड़ रुपये लगाया गया है। कहा जा रहा है कि यह पैसा बाढ़ राहत कोष से निकाला गया।
• नए मुख्यालय को प्रशिक्षण, ब्रेनवॉशिंग और आतंकी गतिविधियों के केंद्र के रूप में इस्तेमाल करने की योजना बताई जा रही है और पुनर्निर्माण 5 फरवरी 2026 (कश्मीर एकजुटता दिवस) से पहले पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
• भारतीय सुरक्षा व नीति विशेषज्ञों ने इस कदम को क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरनाक बताया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाने की बात की जा रही है।

रिपोर्ट का संदर्भ और सुरक्षा संकट
खुफिया इनपुट के अनुसार, मरकज़ तैयबा की बहाली के पीछे संगठन के वरिष्ठ कमांडर और स्थानीय समर्थन की भूमिका बताई जा रही है। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ऐसे केंद्र फिर सक्रिय हुए तो वे न केवल प्रशिक्षण और रिक्रूटमेंट के केंद्र बनेंगे बल्कि क्षेत्रीय आतंकवाद की पुनरुत्थान क्षमता भी बढ़ सकती है। पूर्व आर्मी चीफ्स ने सतर्क रहने और आवश्यक खुफिया-सैन्य तैयारियों को बढ़ाने की सलाह दी है।

भारत की प्रतिक्रिया और अंतरराष्ट्रीय अपील
सरकारी स्तर पर इससे जुड़े मामलों पर टिप्पणी सीमित रही है, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया गया है कि किसी भी उकसावे पर भारत का जवाबी कार्रवाई का अधिकार सुरक्षित रहेगा। साथ ही भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस तरह की गतिविधियों पर नजर रखने व पाकिस्तान पर दबाव बनाने का अनुरोध भी किया है।

ऑपरेशन सिंदूर ने मरकज़ तैयबा को बड़ा क्षति पहुंचाई थी, लेकिन खुफिया सूचनाएँ संकेत देती हैं कि उसके अवशेषों को पुनर्जीवित करने का प्रयास जारी है। सुरक्षा संस्थाएँ और नीति निर्माताओं के लिए यह चुनौती बनी हुई है — ज़रूरत है सतर्कता, अंतर-एजेंसी समन्वय और वैश्विक स्तर पर संवाद बढ़ाने की, ताकि क्षेत्रीय संवेदनशीलता और सुरक्षा परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए स्थितियों का प्रभावी तरीके से सामना किया जा सके।