ग्वालियर। अहमदाबाद में हुए विमान हादसे ने कई घरों को तबाह कर दिया। जाने कितनों के सपने तोड़ दिए। ग्वालियर के जिगसौली गांव निवासी मेडिकल छात्र आर्यन राजपूत की इस हादसे में मौत हो गई। हादसे के समय वह हॉस्टल के मेस में खाना खा रहा था।
पूरे गांव में अजीब सा सन्नाटा पसरा
आर्यन की मृत्यु होने की खबर मिलने के बाद से ही पूरे गांव में अजीब सा सन्नाटा पसरा हुआ है। गांव में उसके मां-बाप को किसी ने उसके निधन की बात नहीं बताई है। कर्ज लेकर व खेत मे पसीना बहाकर बेटे को डॉक्टर बनने का सपना देख रहे माता-पिता से आर्यन की मृत्यु की जानकारी छिपाई तो जा रही है, लेकिन किसी अनहोनी की आशंका से वह गुमसुम हो गए हैं।
गांव में एक पेड़ के नीचे कुछ ग्रामीण बैठे मिले। उदास चेहरों और आंखों की नमी ने खुद ही बयां कर दिया कि लोगों को गांव का बेटा खो देने की कितनी पीड़ा है। पूरे गांव को उम्मीद थी कि आर्यन एक दिन डॉक्टर बनकर लौटेगा।
आर्यन किसान रामहेत सिंह राजपूत का सबसे छोटा बेटा था
आर्यन किसान रामहेत सिंह राजपूत का सबसे छोटा बेटा था। बड़ी बहन निकिता (25) और भाई आदित्य (24) हैं। मेधावी आर्यन ने नीट परीक्षा में 720 में से 700 अंक हासिल कर अहमदाबाद के बीजे मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में दाखिला लिया था। वह द्वितीय वर्ष का छात्र था। होनहार, सौम्य और सबका दुलारा इतनी बेरहम किस्मत वाला होगा, यह किसी ने सोचा भी नहीं था।
खाना खाकर जैसे ही उठा, हॉस्टल पर मौत बनकर टूटा विमान
अक्षत जायसवाल उन भाग्यशाली लोगों में हैं, जो विमान हादसे में सकुशल बच गए। विमान जब बीजे मेडिकल कालेज के छात्रावास की बिल्डिंग से टकराया उस समय अक्षत अपने साथियों के साथ मेस में खाना खा रहा था। वह मेज से उठ कर हाथ धुलने के लिए गए तभी तेज धमाके के साथ विमान दीवार से टकरा गया। हादसे में अक्षत के साथ खाना खा रहे अन्य दो छात्रों की मौत हो गई। अक्षत को गंभीर चोट आई हैं।
अयोध्या के देवकाली भीखापुर निवासी अक्षत एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्र हैं। गुरुवार को उसके पैर का सफल आपरेशन हो चुका है। अब वह खतरे से बाहर है। घायल होने की सूचना मिलते ही शुक्रवार सुबह पुलिस भी अक्षत के आवास पर पहुंची और कुशलक्षेम जाना।
विमान टकराते ही मच गई चीख पुकार
हाल जानने के लिए आसपास के लोगों सहित रिश्तेदार भी घर पहुंचे। अक्षत के पिता राजेश जायसवाल पत्नी के साथ अहमदाबाद में हैं। उन्होंने बताया कि भयावह दृश्य को याद कर कालेज के बच्चे सिहर उठते हैं। दीवार का गिरना, काले धुएं का भीषण गुबार, चारों ओर मची चीख-पुकार को याद कर मन भयभीत हो जाता है।