नई दिल्ली : भारतीय क्रिकेट और चेन्नई सुपर किंग्स के दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने अपनी आईपीएल फ्रेंचाइजी को लेकर बड़ा और चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने लीग के दौरान हो रही चोरी-छुपे लेन-देन की बात सामने रखी है। उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल पर दावा किया है कि सीएसके ने युवा खिलाड़ी डेवाल्ड ब्रेविस को कॉन्ट्रैक्ट की रकम से कहीं अधिक भुगतान किया था। हालांकि, यह रकम सीएसके ने ब्रेविस को अंडर-द-टेबल किया था, ताकि टीम उन्हें अन्य किसी फ्रेंचाइजी से पहले ही अपनी ही टीम में शामिल कर सकें।
कैसे हुआ यह खुलासा?
अश्विन ने अपने यूट्यूब चैनल पर स्पष्ट किया कि आईपीएल के नियमों के मुताबिक, जब कोई खिलाड़ी रिप्लेसमेंट के रूप में शामिल किया जाता है, तो उसे केवल बेस प्राइस पर शामिल किया जाता है। ऐसे में ब्रेविस का बेस प्राइस 2.2 करोड़ रुपए था, लेकिन CSK ने बातचीत के दौरान ब्रेविस के एजेंटों को अतिरिक्त राशि देने का प्रस्ताव रखा, जिससे सीएसके इस रेस में सबसे आगे हो गई।
अश्विन ने कहा, 'जब ब्रेविस को बतौर रिप्लेसमेंट तय कर लिया गया, तो उन्हें बेस प्राइस मिलता। हालांकि, फिर एजेंट का खेल सामने आता है। एजेंट से बात होती है, और तब खिलाड़ी बोलते हैं- अगर आप मुझे इतनी (X) राशि अतिरिक्त देंगे, तो मैं आ जाऊंगा।' अश्विन ने बताया कि सीएसके ने फिर इस 'X राशि' का भुगतान किया और ब्रेविस को अपनी टीम से जोड़ा।
अश्विन ने कहा, 'ऐसा इसलिए होता है क्योंकि खिलाड़ी जानता है कि अगर उन्हें अगले सीजन से पहले रिलीज किया गया, तो वह अच्छी कीमत में बिकेगा। उसका मकसद यह होता है कि अभी मुझे अच्छा पैसा दो, वरना मैं अगले साल और ज्यादा पैसे लूंगा। और सीएसके की टीम ब्रेविस को यह पैसा देने के लिए तैयार थी, इसलिए वह आ गए। टूर्नामेंट के दूसरे हिस्से में सीएसके का संयोजन मजबूत था। आईपीएल 2026 के मिनी ऑक्शन में वे 30 करोड़ रुपये के पर्स के साथ उतरेंगे।'
IPL में ये व्यवहार क्यों विवादास्पद है?
IPL का मूल मिशन ही है कि सभी फ्रेंचाइजियों को समान अवसर मिले। इसलिए बजट सीमा का पालन करना आवश्यक है। हर टीम को 120 करोड़ रुपए की तय सीमा से अपनी टीम बनानी होती है। इस तरह का छुपा हुए लेन-देन बोली प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता है। 18 अप्रैल 2025 को सीएसके ने ब्रेविस को साइन किया था। तब सीएसके की टीम बल्लेबाजी में संघर्ष कर रही थी। ब्रेविस के अलावा आयुष म्हात्रे टीम से जुड़े और दूसरे हाफ में सीएसके की बल्लेबाजी मजबूत हुई थी। दोनों ने ही कमाल की बल्लेबाजी की थी।
आईपीएल ने बयान जारी कर कहा था, 'चेन्नई सुपर किंग्स ने चोटिल गुरजपनीत सिंह की जगह दक्षिण अफ्रीका के डेवाल्ड ब्रेविस को टाटा इंडियन प्रीमियर लीग के बचे हुए हिस्से के लिए साइन किया है। ब्रेविस इससे पहले मुंबई इंडियंस का हिस्सा थे, जहां उन्होंने 10 मैच खेले थे। वह CSK से 2.2 करोड़ रुपए में जुड़ेंगे।' ब्रेविस ने आईपीएल 2024 में शानदार प्रदर्शन किया और छह मैचों में 225 रन बनाए। उन्होंने दो अर्धशतक जड़े और 180 के स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी की।
क्या यह अन्य फ्रेंचाइजियों द्वारा भी किया जा रहा है?
अगर अश्विन की बात सत्य है, तो यह प्रश्न उठता है कि क्या अन्य टीमें भी ऐसे अंडर-द-टेबल समझौतों का इस्तेमाल करती हैं? अगर ऐसा है तो इसका मतलब है कि बजट समानता और लीग की पारदर्शिता पर संकट के बादल मंडरा रहा है। इस तरह की चीजें दुनिया की सबसे बड़ी क्रिकेट लीग आईपीएल की विश्वनीयता पर सवाल खड़े कर सकता है और BCCI को इस मामले को गंभीरता से देखना चाहिए। यह देखने वाली बात होगी कि BCCI इस मामले की निष्पक्ष जांच करता है या नहीं।
आईपीएल के प्लेयर रिटेंशन और ट्रांसफर को लेकर ये मुख्य नियम लागू होते हैं:
सिर्फ तय समय में ट्रांसफर: खिलाड़ियों का ट्रांसफर या टीम बदलना सिर्फ ट्रांसफर विंडो के दौरान ही हो सकता है, जो मेगा या मिनी ऑक्शन से पहले तय होती है।
'अंडर-द-टेबल डील' पर रोक: किसी भी फ्रेंचाइजी और खिलाड़ी के बीच ऑफिशियल अनुबंध के बाहर कोई आर्थिक या अनुबंधिक समझौता सख्त तौर पर प्रतिबंधित है। इसका मतलब है कि बिना IPL गवर्निंग काउंसिल को बताए किसी खिलाड़ी को खरीदने, सैलरी देने या भविष्य में लेने की डील करना नियमों के खिलाफ है।
सैलरी कैप का पालन: टीमों के पास एक फिक्स सैलरी कैप होता है (यानी खिलाड़ियों की कुल सैलरी का बजट), और किसी भी डील को इसी के अंदर रहकर करना होता है। छुप कर किए गए भुगतान सैलरी कैप उल्लंघन माने जाते हैं।
एंटी-करप्शन कोड: BCCI का एंटी-करप्शन यूनिट (ACU) खिलाड़ियों, सपोर्ट स्टाफ और फ्रेंचाइजी पर नजर रखता है। अगर किसी डील में पारदर्शिता नहीं है, तो इसे भ्रष्टाचार की श्रेणी में रखा जा सकता है।
सजा के प्रावधान: अगर कोई टीम या खिलाड़ी दोषी पाया जाता है, तो BCCI आगे बताए गए सजाओं में से कोई भी लागू कर सकती है। इनमें खिलाड़ी पर भारी जुर्माना, खिलाड़ियों का निलंबन, फ्रेंचाइजी पर पेनल्टी या पॉइंट्स डिडक्शन और गंभीर मामलों में टीम को टूर्नामेंट से बाहर करना शामिल हैं।