कैनबरा। ऑस्ट्रेलिया के पीएम एंथनी अल्बानीज ने ऐलान किया है कि उनका देश सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीनी राज्य को औपचारिक मान्यता देगा। यह कदम दो हफ्ते पहले उनकी उस बात से उलट है, जिसमें उन्होंने कहा था कि निकट भविष्य में वह ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे। अल्बानीज ने कैबिनेट बैठक के बाद कहा कि फिलिस्तीनी प्राधिकरण (पीए) की प्रतिबद्धताओं के आधार पर हम फिलिस्तीनी लोगों के अधिकार को स्वीकार करेंगे। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर इसे साकार करने के लिए काम करेंगे।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पीएम एंथनी अल्बानीज ने इस कदम को एक वैश्विक प्रयास का हिस्सा बताया जो मध्य पूर्व में शांति स्थापित करने में मददगार साबित होगा। उन्होंने साफ कहा कि हमास को किसी भी फिलिस्तीनी राज्य में कोई जगह नहीं दी जाएगी। साथ ही उन्होंने इजराइल पर गाजा में मानवाधिकारों के उल्लंघन और अंतरराष्ट्रीय कानून की अनदेखी करने का आरोप लगाया। गाजा की स्थिति को उन्होंने दुनिया की सबसे भयानक स्थिति से भी ज्यादा बदतर बताया है।
पीएम अल्बानीज ने कहा कि फिलिस्तीनी प्राधिकरण ने कुछ अहम वादे किए हैं, जिनके आधार पर यह फैसला लिया गया है। इनमें हमास को सरकार से बाहर रखना, गाजा का विसैन्यीकरण और 2006 के बाद से लंबित चुनाव कराना शामिल है। इसके अलावा, फिलिस्तीनी प्राधिकरण ने इजराइल के शांति और सुरक्षा के अधिकार को स्वीकार करने, उकसावे पर रोक लगाने के लिए अंतरराष्ट्रीय निगरानी और आतंकवादियों के परिवारों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता को बंद करने का आश्वासन दिया है।
अल्बानीज का मानना है कि मध्य पूर्व में हिंसा के चक्र को तोड़ने और गाजा में संघर्ष, पीड़ा और भुखमरी को खत्म करने का सबसे बेहतर रास्ता है। उन्होंने पिछले दो हफ्तों में ब्रिटेन, फ्रांस, न्यूजीलैंड, जापान, इजराइल और फिलिस्तीनी प्राधिकरण अध्यक्ष महमूद अब्बास के साथ इस मुद्दे पर बातचीत की। नेतन्याहू के साथ उनकी चर्चा सभ्य और लंबी रही, लेकिन उन्होंने कहा कि इजराइली पीएम के तर्क पुराने हैं। इससे पहले, नेतन्याहू ने रविवार को कुछ यूरोपीय देशों की इस पहल की आलोचना की थी।
ऑस्ट्रेलिया के पीएम ने किया ऐलान, सितंबर में फिलिस्तीन को देंगे मान्यता
