व्यापार: फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (एफएडीए) ने सरकार से मुआवजा उपकर यानी कंपनशेसन सेस के मुद्दे पर स्पष्टता लाने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि इसका बोझ डीलरों पर नहीं पड़ा चाहिए, जो केवल वितरण शृंखला का हिस्सा है।
मुआवजा उपकर है सबसे बड़ी चुनौती
FADA के अध्यक्ष सीएस विग्नेश्वर ने कहा कि ऑटो निर्माता और एफएडीए दोनों जीएसटी कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। विग्नेश्वर ने बताया कि फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती मुआवजा उपकर को लेकर है। उन्होंने कहा कि हम पिछले हफ्ते से सरकार और अलग-अलग विभागों से इस मुद्दे पर बातचीत कर रहे हैं। असल में मुआवजा उपकर अंतिम उपभोक्ता द्वारा ही चुकाया जाना था, और यही अब मुख्य अड़चन बन गया है।
मुआवजा उपकर का बोझ डीलरों पर डालना दुर्भाग्यपूर्ण
उन्होंने कहा कि हम लॉजिस्टिक्स और पूरे डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम का हिस्सा हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा अगर मुआवजा उपकर का बोझ हम पर डाला जाए। सरकार को इस अस्पष्टता को दूर कर न्यायसंगत समाधान लाना चाहिए, जिससे सभी को फायदा हो।
ऑटो कंपनियों की सरकार से मांग
22 सितंबर को संचित क्षतिपूर्ति उपकर समाप्त हो जाएगा, और ऑटो कंपनियां डीलरों के पास बचे स्टॉक पर लगने वाले उपकर के बारे में वित्त मंत्रालय से स्पष्टीकरण मांग रही हैं। वे या तो इसे अपनी कर देनदारी में समायोजित करने की अनुमति देने या सरकार से रिफंड की मांग कर रही हैं।
ऑटोमोबाइल्स पर मुआवजा उपकर होगी समाप्त
22 सितंबर से ऑटोमोबाइल्स पर मुआवजा उपकर समाप्त हो जाएगा। फिलहाल वाहनों पर 28% जीएसटी लागू है और इसके अलावा गाड़ियों के प्रकार के अनुसार छोटी कारों पर 1% से लेकर एसयूवी पर 22% तक का मुआवजा उपकर लगाया जाता है। यह उपकर जीएसटी लागू होने के बाद शुरुआती पांच साल तक राज्यों के राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए लगाया गया था। हालांकि कोविड-19 के दौरान राजस्व में कमी पूरी करने के लिए इसकी अवधि को बढ़ा दिया गया था। साथ ही 1,200 सीसी और 1,500 सीसी तक की इंजन क्षमता वाली पेट्रोल और डीजल कारों पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। वहीं इससे अधिक क्षमता वाली कारों पर अधिकतम 40 प्रतिशत जीएसटी लगेगा।