देशभर में बुधवार को एक बार फिर व्यापक स्तर पर सार्वजनिक सेवाएं प्रभावित हो सकती है। बैंकिंग, बीमा, डाक, कोयला खनन, राजमार्ग निर्माण और परिवहन जैसे क्षेत्रों में कार्यरत 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी के देशव्यापी हड़ताल पर जाने की संभावना है।
यह आम हड़ताल या 'भारत बंद' 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों और उनके सहयोगियों के संयुक्त मंच द्वारा बुलाई गई है। मंच ने इसे सरकार की "श्रमिक विरोधी, किसान विरोधी और राष्ट्र विरोधी कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों के खिलाफ विरोध का कदम बताया है।
सरकार पर संघ ने लगाए कई आरोप
श्रमिक संघ मंच ने अपने हालिया बयान में कहा कि मंच ने पिछले वर्ष श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया को 17 सूत्री मांगों का एक चार्टर सौंपा था। इसमें आगे कहा गया है कि सरकार पिछले 10 वर्षों से वार्षिक श्रम सम्मेलन आयोजित नहीं कर रही है और श्रम बल के हितों के विपरीत निर्णय ले रही है। मंच ने यह भी आरोप लगाया कि आर्थिक नीतियों के कारण बेरोजगारी बढ़ रही है, आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं, मजदूरी में कमी आ रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी नागरिक सुविधाओं में सामाजिक क्षेत्र के खर्च में कटौती हो रही है। इन सबके कारण गरीबों, निम्न आय वर्ग के लोगों के साथ-साथ मध्यम वर्ग के लोगों के लिए असमानताएं और दुख बढ़ रहे हैं। साथ ही उन्होंने सराकार की रोजगार प्रोत्साहन योजना पर भी जमकर निशाना साधा है।
पहले भी हुए हैं देशव्यापी हड़ताल
एनएमडीसी लिमिटेड और अन्य गैर-कोयला खनिज, इस्पात, राज्य सरकार के विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के यूनियन नेताओं ने भी हड़ताल में शामिल होने का नोटिस दिया है। ट्रेड यूनियनों ने इससे पहले 26 नवंबर, 2020, 28-29 मार्च, 2022 और पिछले साल 16 फरवरी को इसी तरह की देशव्यापी हड़ताल की थी।