बड़वानीः जिले के पाटी विकासखंड की कई ग्राम पंचायतों के कार्यों में लगभग 90 लाख रुपए के गबन का मामला सामने आया है। ग्रामीण क्षेत्रों में कई निर्माण कार्य घटिया या अधूरे हैं। इन निर्माण को गुणवत्तापूर्ण बताकर उसके नाम पर बिलों में लेकर राशि निकाल ली गई। इस मामले में आरोपी नौ वेंडर अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। वेंडरों पर कार्रवाई नहीं हो पाना इस मामले में सवालिया निशान लगा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार जनसुनवाई में प्राप्त शिकायतों के आधार पर एक जांच दल गठित किया गया था। इस दल ने पाटी विकासखंड की सेमलेट, लिम्बी, कंडरा, वेरवाडा, ओसाडा और आंवली ग्राम पंचायतों के निर्माण कार्यों की जांच की। जांच दल की रिपोर्ट में अधिकांश कार्यों को गुणवत्ताहीन पाया गया। साथ ही कई स्थानों पर राशि निकालने के बावजूद कार्यस्थल पर कोई निर्माण कार्य नहीं मिला।
फर्जी बिल और अधूरे काम उजागर
जांच में खुलासा हुआ कि ग्राम पंचायतों ने पोर्टल पर बिना जीएसटी/टीआईएन नंबर के अधूरे और कोरे फर्जी बिल अपलोड कर राशि निकाली गई। इसके बाद सरपंचों, सचिवों और सहायक सचिवों ने शासकीय राशि वेंडरों के खातों में भुगतान के रूप में जमा करा दी।
पंचायत सीईओ के निर्देश पर केस
जिला पंचायत की सीईओ काजल जावला के निर्देश पर संबंधित ग्राम पंचायतों के सरपंचों, सचिवों, सहायक सचिवों और वेंडरों के खिलाफ पाटी थाने में केस दर्ज हुआ। बाद में आरोपित जनप्रतिनिधियों और सचिवों ने कोर्ट से यह स्टे आदेश ले लिया कि जांच पूरी होने तक उन पर कोई बलपूर्वक कार्रवाई न हो। मुख्य कार्यपालन अधिकारी काजल जावला ने बताया कि पाटी थाने ने इस मामले में अतिरिक्त जानकारी मांगी गई थी। 25 अगस्त को उपलब्ध करा दी गई है। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों में बिना निर्माण कार्य किए शासकीय राशि खर्च करने की प्रवृत्ति को रोकने के लिए यह आवश्यक है कि नौ वेंडरों की भी शीघ्र गिरफ्तारी की जाए।
वेंडरों के खिलाफ जीएसटी में केस की मांग
उन्होंने यह भी बताया कि इन नौ वेंडरों के विरुद्ध आयुक्त, वाणिज्य कर वृत्त, इंदौर को पत्र लिखा गया है। इसमें उल्लेख किया गया है कि वेंडरों ने बिना जीएसटी के अस्पष्ट, फर्जी और एक ही सामग्री के अलग-अलग दरों से बिल प्रस्तुत कर ग्राम पंचायत से भुगतान प्राप्त किया है। इसलिए, उनके खिलाफ एमपी जीएसटी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए।
बड़वानी के एसपी जगदीश डाबर ने कहा कि मामले की विवेचना चल रही है। तथ्य सामने आने पर वेंडरों की गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस संबंध में कुछ और दस्तावेज भी मांगे गए हैं। उधर, पंचायत सचिवों ने पाटी के तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत, नीलेश नाग पर इन्हीं जांचों में कार्रवाई न करने के एवज में रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था। इसके चलते उन्हें कलेक्ट्रेट में अटैच कर दिया गया। बाद में लोकायुक्त ने भी नाग के विरुद्ध प्रकरण दर्ज किया।