इंदौर। एमवाय अस्पताल में चूहों के कुतरने के बाद दो नवजात बच्चियों की मौत हो गई थी। अब प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में हुई लापरवाही पर एक और खुलासा हुआ है।
अस्पताल के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के एनआइसीयू में चूहे रातभर नवजातों की अंगुलियां और हथेली कुतरते रहे। छह घंटे तक चले घटनाक्रम के दौरान किसी ने उनकी सुध तक नहीं ली।
वेटरनरी डॉक्टरों की मानें तो चूहे जैसा चंचल प्राणी के लिए संभव नहीं कि वह एक स्थान पर बैठकर पूरी अंगुली कुतर दें। उसने चार अंगुलियों को कुतरने में कम से कम छह से आठ घंटे लगाए होंगे।
इस दौरान वह दर्जनों बार इंक्यूबेटर में आया-गया होगा, हलचल हुई होगी। अगर नर्सिंग स्टाफ या डॉक्टर मौके पर होते तो निश्चित ही उनकी नजर नवजातों पर पड़ती और चूहे नवजातों की अंगुलियां नहीं कुतर पाते।
पहले दिन कुतरने के बाद भी अगले दिन नहीं दिया ध्यान दरअसल, 30 और 31 अगस्त को धार जिले के रूपापाड़ा और देवास जिले के कमलापुर निवासी माता-पिता की दो नवजात बच्चियों को चूहे ने कुतरा। पहले दिन धार जिले के नवजात की पूरी चार अंगुलियां चूहे खा गए, लेकिन इस संबंध में किसी ने ध्यान नहीं दिया।
उसे लावारिस बताकर सिर्फ पट्टी बांधकर घाव को छुपाने का प्रयास किया, लेकिन मौके पर मौजूद स्टाफ ने घटना के बाद भी वहां की सुरक्षा बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया, ड्यूटी पर तैनात डाक्टर और नर्स दूसरे दिन भी लापरवाह बनकर ड्यूटी करते रहे।