आते-आते मेरा नाम सा रह गया, नरोत्तम की सियासत से फिर छूटा टर्निंग पाइंट

भोपाल: मध्य प्रदेश में बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए दौड़ में नेता कई थे, लेकिन करीब 6 महीने पूर्व से निर्धारित हेमंत खंडेलवाल के नाम के साथ सबसे बड़ा झटका पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा को लगा है. जो इस दौड़ के सबसे कद्दावर नेता माने जा रहे थे. हालांकि ये पहला मौका नहीं है कि सजी थाली उनके आगे से गई है. इसके पहले 2020 में भी मध्य प्रदेश में हुई सत्ता पलट के सूत्रधार बताए गए नरोत्तम मिश्रा का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए उछाला गया था, लेकिन आस निरास होने में समय नहीं लगा.

अबकी बार भी ये माना जा रहा था कि पूर्व मंत्री ने इस पद के लिए पूरी ताकत झौंक दी है. 5 साल बाद एक बार फिर नरोत्तम मिश्रा की सियासत में टर्निंग पाइंट आते आते रह गया. लंबे समय से संगठन में पुर्नवास की बाट जोह रहे मिश्रा के लिए अब आखिरी मौका पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का है. सवाल ये कि क्या उन्हें मौका मिल पाएगा.

आते आते मेरा नाम सा रह गया, उस के होंटों पे कुछ कांपता रह गया. मशहूर शायर वसीम बरेलवी की ये लाइनें नरोत्तम मिश्रा पर सटीक बैठती हैं. मध्य प्रदेश में बीजेपी अध्यक्ष का नाम चौंकाने वाला भले ना आया हो, क्योंकि पिछले 6 महीने से इस पद के लिए सबसे दमदार दावेदार हेमंत खंडेलवाल ही माने जा रहे थे, लेकिन ये नाम नरोत्तम मिश्रा समेत कई नेताओं की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए आया है. दतिया विधानसभा सीट से चुनाव हार जाने के बाद से लगातार पार्टी में पुर्नवास की बाट जोह रहे नरोत्तम ने लोकसभा चुनाव के पहले अपनी परफार्मेंस भी दी थी. जब उन्हें न्यू ज्वाइनिंग टोली का चेयरमैन बनाया गया, तो नरोत्तम की अगुवाई में छिंदवाड़ा जिले समेत कई इलाकों में थोक के भाव में दल बदल हुए.

अपनी ताकत और परफार्मेंस रिपोर्ट नरोत्तम मिश्रा ने ये बताने एक दिन में मध्य प्रदेश बीजेपी में रिकार्ड ज्वाइनिंग भी करवाई थी. राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश भटनागर कहते हैं कि "शिवराज सरकार के दौर में नरोत्तम मिश्रा की गिनती सरकार में दूसरे नंबर के सबसे ताकतवर मंत्री के तौर पर होती थी. एक समय ऐसा भी आया था कि वो मुख्यमंत्री पद की दौड़ में बताए जा रहे थे. हालांकि 2020 में 22 सीटों के उपचुनाव सामने थे. लिहाजा पार्टी ने ट्रस्टेड और टेस्टेड चेहरे शिवराज पर ही दांव लगाया था. इस बार भी पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने काफी लंबे समय से इस पद के लिए तैयारी की थी. हांलाकि उनका नाम रेस में होते हुए भी मजबूत दावेदार के तौर पर नहीं था.

क्या अब राष्ट्रीय कार्यकारिणी में होगा पुर्नवास

बीते लंबे समय से संगठन में पुर्नवास की प्रतीक्षा कर रहे डॉ नरोत्तम मिश्रा को उम्मीद अब राष्ट्रीय कार्यकारिणी से है. हालांकि उस दौड़ में भी मध्यप्रदेश से नेताओं की कतार लंबी है. मध्य प्रदेश में 2 जुलाई को जब पूरे साढे़ 5 साल बाद नए प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी की जा रही थी. उस समय मंच वो चेहरे भी मौजूद थे. जो प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए संभावित दावेदार माने जा रहे थे. उसी मंच पर नरोत्तम मिश्रा भी मौजूद थे. मंच से आई उनकी तस्वीर और उनका चेहरा सच्चाई बयान कर रहा था कि दर्द कितना गहरा है.

हालांकि खुद नरोत्तम मिश्रा अभी इस मामले में बेबाकी से कुछ भी नहीं कह रहे. बीजेपी में जिस तरह से अनुशासित कार्यकर्ता का बर्ताव होना चाहिए, नरोत्तम मिश्रा उसी अंदाज में ये कहते हैं कि "पार्टी का निर्णय हमेशा ही श्रेष्ठ होता है. मेरी जिस भूमिका में पार्टी को आवश्यक्ता होगी. मैं उस कार्य के लिए हमेशा तत्पर हूं."

 

 

नरोत्तम नहीं हेमंत खंडेलवाल बने एमपी बीजेपी अध्यक्ष

बता दें लंबे कयासों के बाद 1 जुलाई को हेमंत खंडेलवाल को निर्विरोध मध्य प्रदेश बीजेपी का अध्यक्ष चुना गया. हेमंत खंडेलवाल बैतूल से विधायक हैं. वे पहले सांसद भी रह चुके हैं. हेमंत खंडेलवाल राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी माने जाते हैं. साथ ही उनका संघ से भी नाता है. इसके साथ ही सीएम मोहन यादव की भी वह पहली पसंद थे. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी उनकी पैरवी की थी.