विंध्यधाम के रामगया घाट पर बनेगा राम चरण पादुका, बनेगा योग साधना केंद्र

उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले में स्थित मां विंध्यवासिनी धाम के बाद रामगया गंगा घाट व अष्टभुजा मंदिर परिक्षेत्र का कायाकल्प होगा. जिला प्रशासन की ओर से प्रस्ताव तैयार करके शासन को भेजा गया है. वित्तीय मंजूरी मिलने के बाद काम शुरू होगा.  विंध्याचल के तारा मंदिर व गंगा के मध्य वृहद योग साधना केंद्र…

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सोमवती या भौमवती..इस बार क्या कहलाएगी ज्येष्ठ अमावस्या? 26 या 27 मई, कौन सी तिथि सही

ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि हिंदू धर्म के लिए बेहद खास है, क्योंकि यह तिथि गंगा नदी में स्नान दान और पितृ तर्पण के लिए सबसे उत्तम तिथि मानी जाती है. मान्यता है कि जेठ माह की अमावस्या तिथि के दिन शनिदेव का जन्म हुआ था, इसलिए इसी दिन शनि जयंती भी मनाई जाएगी. वहीं,…

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दोस्त है या दुश्मन? चाणक्य की नीतियां से करें व्यक्ति की असली पहचान, जीवन में कभी नहीं खाएंगे धोखा

क्या आपने कभी सोचा है कि इस दुनिया में किस पर भरोसा किया जाए और किससे सावधान रहा जाए? कौन है आपका सच्चा मित्र और कौन है वह जो मीठी बातों के पीछे आपकी पीठ में छुरा घोंपने को तैयार बैठा है? हम सभी की ज़िंदगी में कुछ लोग फरिश्तों की तरह आते हैं, तो…

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छोटा कैलाश की तरह..छोटा अमरनाथ भी, दर्शन करने के लिए इन पहाड़ों पर आना पड़ेगा, जंगल के बीच से रास्ता

 खरगोन में विंध्याचल पर्वत के बीच बसे छोटा अमरनाथ क्षेत्र में महादेव खोदरा के नाम से भी प्रसिद्ध है. बर्फानी बाबा की तरह यहां भी पहाड़ी की चढ़ाई और घने जंगल के बीच से होकर गुजरना पड़ता है.  भगवान शिव का यह रहस्यमय स्थल पर्वत की चोटी से लगभग 2,000 फीट नीचे, पहाड़ी के बिलकुल…

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जहां श्रीराम ने खाया था शबरी का बेर! शिवरीनारायण में आज भी मौजूद है वो पत्तल जैसा पेड़!

छत्तीसगढ़ का शिवरीनारायण धाम सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि रामभक्ति की उस सजीव स्मृति का केन्द्र है, जहां आज भी श्रद्धा के साथ जुड़ी पौराणिकता को लोग अपनी आंखों से महसूस कर सकते हैं. कहा जाता है कि यहीं माता शबरी ने अपने आराध्य श्रीराम को प्रेमपूर्वक झूठे बेर खिलाए थे, और वे बेर…

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श्रीकृष्ण के देह त्यागने के बाद देवी रुक्मिणी और अन्य पत्नियों का क्या हुआ?

भगवान विष्णु का 8वां अवतार और 16 कलाओं के स्वामी भगवान श्रीकृष्ण का एक श्राप की वजह से देह त्यागना पड़ा, या फिर ये कहें कि कृष्णजी का पृथ्वी लोक पर समय पूरा हो गया था इसलिए उनको वापस बैकुंठ धाम जाना पड़ा. पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्रीकृष्ण को जरा नामक एक बहेलिए ने पैर…

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शनिवार समेत भूलकर भी इन दिनों ना काटें नाखून, मां लक्ष्मी होंगी नाराज, बैठे बिठाए लग जाएगी लंका

धर्म शास्त्रों में नहाने से लेकर खाने तक और जाने लेकर नाखून काटने तक. हर चीज के नियम बनाए गए हैं और इन नियमों का पालन करने से ही जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और घर में भी सुख-शांतचि रहती है. ज्योतिष शास्त्र में नाखून काटने को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं,…

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