धनखड़ के इस्तीफे से उपजी चुनौती: क्या स्थगित होगी राज्यसभा की कार्यवाही?

संसद के मानसून सत्र का आगाज कल सोमवार को विपक्षी सांसदों के हंगामे के साथ हो गया था, और फिर रात होते-होते उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक पद से इस्तीफा देने की घटना ने सभी को चौंका दिया. उपराष्ट्रपति ही संसद के ऊपरी सदन यानी राज्यसभा का पदेन सभापति होता है और उसी के नेतृत्व में संसदीय कार्यवाही का संचालन किया जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर पद छोड़ने वाले धनखड़ के बाद अब राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन किसके हाथों में होगा.

तत्काल प्रभाव से उपराष्ट्रपति का पद छोड़ने वाले जगदीप धनखड़ के इस फैसले ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है. अगला उपराष्ट्रपति चुने जाने के लिए 60 दिनों का वक्त है और संसद की कार्यवाही चल रही है. ऐसे में अब सवाल यह है कि संसद में जारी मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता कौन करेगा?

उपराष्ट्रपति के चुनाव में अभी वक्त
संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा को राज्यों की परिषद भी कहा जाता है. राज्यसभा में देश के सभी राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों के प्रतिनिधि और राष्ट्रपति द्वारा नामित लोग शामिल होते हैं. उपराष्ट्रपति ही राज्यसभा का पदेन सभापति होता है. साथ ही राज्यसभा अपने सदस्यों में से किसी एक को उपसभापति चुनती है. सभापति और उपसभापति ही राज्यसभा की बैठकों की अगुवाई करते हैं.

धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब राज्यसभा के सभापति की कुर्सी अचानक खाली हो गई है. ऐसे में राज्यसभा में शेष मानसून सत्र की अगुवाई अब उपसभापति ही करेंगे. इस समय हरिवंश नारायण सिंह उपसभापति हैं. वह सितंबर 2020 से ही इस पद पर कार्यरत हैं. अब जब तक नए उपराष्ट्रपति का चुनाव नहीं होता और वो अपना पदभार ग्रहण नहीं कर लेते, तब तक हरिवंश नारायण ही राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करेंगे.

चुनाव आयोग को जल्द से जल्द कराना होगा चुनाव
हालांकि संविधान में इस संबंध में कुछ नहीं कहा गया है कि उपराष्ट्रपति की मौत होने या उनके कार्यकाल खत्म होने से पहले इस्तीफा देने की स्थिति में, या उपराष्ट्रपति के भारत के राष्ट्रपति के रूप में काम करने की सूरत में उनके कर्तव्यों का निर्वहन कौन करेगा.

दूसरी ओर, चुनाव आयोग को अब जल्द से जल्द उपराष्ट्रपति को लेकर चुनाव कराना होगा. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 68 के खंड 2 के तहत उपराष्ट्रपति की मृत्यु, इस्तीफे या पद से हटाए जाने या किसी अन्य वजहों से खाली हुए पद को भरने के लिए जल्द से जल्द चुनाव कराना होगा.

कौन करता है चुनाव
खाली पड़े इस पद के लिए निर्वाचित शख्स का कार्यकाल पूरे 5 साल का होगा. वह पदभार ग्रहण करने की तारीख से अगले 5 साल तक पद पर बना रहेगा. उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद होता है. उनका कार्यकाल 5 साल के लिए होता है. लेकिन कार्यकाल खत्म होने तक अगर नए उपराष्ट्रपति का चयन नहीं हो सका तो नए उत्तराधिकारी के आने तक वह पद पर बने रहेंगे.

संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, नए उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के जरिए कराया जाता है.

उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार को भारत का नागरिक होना चाहिए. दावेदारी पेश करने के दौरान उसकी आयु 35 साल की होनी चाहिए.