रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के 25वें वर्षगांठ के मौके पर नवा रायपुर में आयोजित भव्य राज्योत्सव के शिल्पग्राम में छत्तीसगढ़ की पारंपरिक ढोकरा कला (बेलमेटल शिल्प) को देखने बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं। लॉस्ट वैक्स तकनीक से तैयार होने वाली बस्तर की यह प्राचीन कला आज भी अपनी मौलिक पहचान बचाए हुए है। शिल्पग्राम में लोग ढोकरा शिल्प की मूर्तियों, सजावटी वस्तुओं और पारंपरिक आकृतियों को देखने और खरीदने पहुंच रहे हैं।
प्रदेश के हर जिले से आए शिल्पकारों को इस आयोजन में अपनी कला प्रदर्शित करने का बेहतरीन अवसर मिला है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शिल्पकारों को प्लेटफॉर्म देने और स्थानीय कला को बढ़ावा देने की पहल की शिल्पकारों और आगंतुकों ने सराहना की है। इस आयोजन को सफल बनाने में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार की पहल महत्वपूर्ण रही है, जिसके चलते कलाकारों को न केवल मंच मिला है, बल्कि नए बाजार और नए खरीदारों तक पहुंच भी मिली है।
कोंडागांव के भेंलवापदरपारा से आए राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त कलाकार पंचुराम सागर ने बताया कि राज्योत्सव जैसे भव्य आयोजन में कलाकारों को पहचान और सम्मान मिलता है। उन्होंने कहा कि लोगों में ढोकरा कला के प्रति काफी उत्साह है और वे इस कला की निर्माण प्रक्रिया और महत्व के बारे में भी पूछ रहे हैं। सागर की लोकप्रिय कृतियां मावली माता, झिटकु-मिटकु और महाराणा प्रताप जैसे उत्कृष्ट शिल्प को लोग खूब पसंद कर रहे हैं।
बस्तर के चिलकुटी गांव से आईं कु. उर्मिला की कृति ‘आदन झाड़’ भी दर्शकों को आकर्षित कर रही है, जो उनके लिए रोचकता का विषय भी बन रही। उर्मिला ने बताया कि यह कृति बस्तर की परंपरा और प्रकृति से जुड़ी है। इसमें दीमक भिंभोरा और आदमकद शेर की आकृति जनजातीय संस्कृति और प्रकृति संरक्षण का संदेश देती है।
सारंगढ़ से आए मिनकेटन बघेल, कृष्णचंद और रायगढ़ के एकताल के रघु झारा भी अपनी झारा शिल्प के साथ शिल्पग्राम आए हैं, इनके स्टॉल्स पर भी अच्छी भीड़ देखी जा रही है।
बिलासपुर जिले के सीपत से आए रमेश कुमार धुलिया अपनी बांस शिल्प कृतियों टुकनी, पर्रा, की-होल्डर और फ्लॉवर पॉट के साथ लोगों का ध्यान खींच रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्योत्सव के माध्यम से उन्हें अपनी कला को अधिक लोगों तक पहुंचाने का अवसर मिला है और लोग भी खुशी से खरीदारी कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा शिल्पकारों को सशक्त बनाने और स्थानीय कला को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने का संकल्प लेकर आगे बढ़ रही है। राज्योत्सव में आए शिल्पकारों का कहना है कि ऐसे आयोजनों से उन्हें प्रेरणा और प्रोत्साहन मिलता है, शिल्पकार को बाजार भी उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे वे अपनी कला को आगे बढ़ाने के लिए और उत्साहित होते हैं।
