चीन ने फिर बढ़ाई धड़कनें! रेयर अर्थ के बाद अब इस चीज पर चुपचाप लगाया बैन

नई दिल्ली। भारत के लिए बेहद अहम माने जाने वाले स्पेशलिटी फर्टिलाइजर (Speciality Fertilisers) की सप्लाई को लेकर चीन ने पिछले दो महीनों से बिना कोई औपचारिक प्रतिबंध लगाए सप्लाई रोक दी है। भारत में इन स्पेशलिटी फर्टिलाइजर्स का 80% से ज्यादा आयात चीन से होता है। ये उर्वरक फल, सब्ज़ियों और अन्य लाभकारी फसलों की उत्पादकता बढ़ाने में बेहद उपयोगी होते हैं। लेकिन अब तक इनका घरेलू उत्पादन बहुत कम रहा है, क्योंकि इनकी मांग कम होने से स्थानीय फैक्ट्रियां आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं रही थीं।

खास बात यह है कि चीन अन्य देशों को यह उर्वरक भेज रहा है, लेकिन भारत के लिए उसने चुपचाप तरीके से ब्लॉक कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की सरकारी एजेंसियां भारत के लिए तैयार उर्वरक शिपमेंट्स का निरीक्षण करने से बच रही हैं। चीन के नियमों के अनुसार, किसी भी उर्वरक की शिपमेंट को देश से बाहर भेजने से पहले फैक्ट्री लेवल पर निरीक्षण जरूरी होता है। जब यह प्रक्रिया ही नहीं हो रही, तो माल भारत पहुंच ही नहीं पा रहा।

विशेषज्ञ मानते हैं कि ये कदम भारत-चीन के बिगड़ते रिश्तों की कड़ी में एक इशारा है। पिछले कुछ सालों में सीमा विवाद, पाकिस्तान से चीन की नजदीकी और निवेश प्रतिबंध जैसे मामलों में भारत ने कड़ा रुख अपनाया है। जवाब में चीन ने रेयर अर्थ मेटल्स और अब स्पेशलिटी फर्टिलाइजर जैसे अहम संसाधनों की सप्लाई रोककर दबाव बनाने की कोशिश की है।

स्पेशलिटी फर्टिलाइजर में क्या- क्या होता है शामिल?

  • वॉटर सॉल्यूबल फर्टिलाइजर (WSFs)
  • लिक्विड फर्टिलाइजर
  • माइक्रोन्यूट्रिएंट फर्टिलाइजर
  • कंट्रोल्ड और स्लो रिलीज वर्जन
  • नैनो, बायोस्टिमुलेंट और ऑर्गेनिक वैरायटी

 
इनका फायदा यह है कि ये पौधों को खास जरूरत के अनुसार पोषक तत्व पहुंचाते हैं, मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखते हैं और परंपरागत फर्टिलाइजर्स के मुकाबले पर्यावरण पर असर भी कम डालते हैं।

कैसे बढ़ सकता है सप्लाई संकट
फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FAI) के अनुसार भारत का माइक्रोन्यूट्रिएंट फर्टिलाइज़र मार्केट 2029 तक $1 बिलियन पार कर जाएगा। बायोस्टिमुलेंट मार्केट उसी साल तक $734 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है। ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर सेक्टर 2032 तक $1.13 बिलियन का हो सकता है। दीपक फर्टिलाइज , पारादीप , नागार्जुन फर्टिलाइजर जैसी कंपनियां इस सेगमेंट में पहले से सक्रिय हैं।

भारत के पास चीन के विकल्प के तौर पर जॉर्डन, यूरोप जैसे देशों से आयात का विकल्प है, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती समय पर डिलीवरी है। सामान्य उर्वरक जैसे यूरिया, DAP और MOP फसलों की बुनियादी जरूरतें पूरी करते हैं, लेकिन स्पेशलिटी फर्टिलाइजर टार्गेटेड और स्मार्ट न्यूट्रिशन के लिए अहम हो चुके हैं।