नई दिल्ली। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध की मांग की है. सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर उन्होंने कहा, आज देश में जो गड़बड़ियां हो रही हैं और कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो रही है यह सब बीजेपी और आरएसएस की वजह से है. संघ पर फिर से प्रतिबंध लगाना चाहिए. इसके पहले उनके मंत्री बेटे की मांग पर कर्नाटक में संघ की गतिविधियों पर लगे प्रतिबंध को हाईकोर्ट द्वारा खारिज कर दिया गया. संघ को लेकर कांग्रेस के भीतर अजीब डर दिखाई पड़ता है. यह डर कांग्रेस के पतन और आरएसएस के राजनीतिक चेहरे के उत्थान के कारण है. कांग्रेस के सुर, लय, ताल तुष्टिकरण सॉन्ग रचने और गाने में लगे हुए हैं. प्रतिबंध का राग उसी का नया संगीत है. कांग्रेस के लिए संघ ही अब राजनीतिक एजेंडा बचा है. संघ के विरोध से ही उनकी राजनीतिक ताकत बची है. कांग्रेस इसे वैचारिक लड़ाई बताती है, लेकिन यह उसकी सियासी लड़ाई का सबसे मजबूत अस्त्र बचा है. 140 साल की कांग्रेस और 100 साल के आरएसएस के वर्तमान में कांग्रेस का डर छुपा हुआ है. गांधी परिवार की विरासत बाबर की मजार पर तो जाती रही है, लेकिन आज तक इस परिवार का कोई भी व्यक्ति अयोध्या में राम मंदिर नहीं जा सका है. संघ परिवार के लिए राम मंदिर राष्ट्र के धार्मिक और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है, जिसे कांग्रेस जाने योग्य स्थल भी नहीं मानती. संघ जिन विचारों के साथ पहले दिन खड़ा था, उन्हीं पर आज भी खड़ा है. यह एक सांस्कृतिक संगठन है. उसके राजनीतिक फेस बीजेपी का उत्थान कांग्रेस के पतन से जुड़ा हुआ है. जो कांग्रेस कभी देश की राजनीतिक सत्ता के हिमालय पर खड़ी थी, उसे आज कुछ राज्यों की तलहटी में संतोष करना पड़ रहा है. आरएसएस पर कांग्रेस ने प्रतिबंध पहले भी लगाए हैं. इस प्रतिबंध ने ही संघ की सेवा विस्तार करने में भूमिका निभाई. जिस समय प्रतिबंध लगा था उस समय कांग्रेस की सरकार में गृहमंत्री सरदार भाई पटेल वल्लभभाई पटेल थे. संघ और बीजेपी सरदार वल्लभभाई पटेल को अपना आदर्श मानती है. गुजरात में पीएम नरेंद्र मोदी ने विशाल प्रतिमा स्थापित कर पटेल की गौरव गाथा को पूरी दुनिया में स्थापित किया है. आधुनिक भारत में पटेल की विरासत को संभालने में कांग्रेस असफल हो गई है. इस विरासत का स्वाभाविक दायित्व निभाते हुए संघ और बीजेपी ने अपना वैचारिक विस्तार करने में सफलता हासिल की है.संघ का एजेंडा ओपन है. कुछ भी सीक्रेट नहीं है. हिंदू आस्था और गौरव का संरक्षण और विस्तार उनका लक्ष्य है. चरित्र निर्माण मार्ग है. सेवा भावना, मंत्र है. सांस्कृतिक जागरण और सामाजिक समरसता उद्देश्य है. राष्ट्र की मजबूती और समाज की एकता उनका घोषित लक्ष्य है. इसके विपरीत कांग्रेस का एजेंडा राजनीतिक सत्ता हासिल करना है. इसके लिए विभाजन को बढ़ाना उनका मार्ग है. संघ का हिंदुत्व सफल न हो इसके लिए कांग्रेस देश को जातियों में बांटने का काम करती है. मुस्लिम समाज में जातिवाद पर कांग्रेस चुप रहती है, लेकिन हिंदुओं को जातियों में बांटकर सत्ता हथियाने की कोशिश की जाती है. यहां तक की कांग्रेस सामाजिक न्याय की जड़ी बूटी आरक्षण की व्यवस्था का भी राजनीतिक उपयोग कर समाज में विभाजन को बढ़ाने का प्रयास करती है. यह तो अनुभव की बात है, कि जो दूसरों के लिए गड्ढा होता है वह उसी में खुद गिरता है. कांग्रेस तुष्टिकरण और बैंक के लिए पार्टी की आधारशिला जिस नींव पर खड़ी की है. आज वही उसको सबसे ज्यादा दुख दे रही है.आरएसएस तो सामाजिक समरसता का अभियान चलाती है. संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत मस्जिदों में जाकर भी मौलवियों से मिलकर उन्हें अपना दृष्टिकोण समझाने से परहेज नहीं करते. यह भी समरसता का ही प्रयास है. संघ का मुस्लिम मंच इस दिशा में निरंतर काम करता दिखाई पड़ता है. कांग्रेस संघ का वैचारिक मुकाबला नहीं कर पा रही है. इसीलिए प्रतिबंध का राग अलाप रही है. कांग्रेस के वैचारिक दिवालियापन का अंदाजा लगाया जा सकता है, कि संघ को प्रतिबंधित करने की मांग जिस सरकार से की जा रही है, वही सरकार संघ को अपना आदर्श मानती है. सरकारी स्तर पर संघ की गतिविधियों की प्रधानमंत्री सराहना कर चुके हैं.शताब्दी वर्ष में संघ पर डाक टिकट और सिक्का जारी किया गया है. कांग्रेस की आंखें इस बात से खुल जाना चाहिए, कि सौ साल में संघ की सेवा और चरित्र निर्माण का सुफल है कि उसका प्रचारक देश का प्रधानमंत्री है और उसने भारतीय मुद्रा पर संघ की स्मृति को संजोने का ऐतिहासिक काम करके दिखाया है. जो कांग्रेस संघ पर प्रतिबंध का सोच रखती है, जो किसी को प्रतिबंधित कर अपनी प्रगति सोचती है, उसका तो चिंतन ही दूषित दिखाई पड़ता है. कोई भी व्यक्ति, संगठन किसी को मिटाकर नहीं बल्कि जीत कर आगे बढ़ सकता है. संघ पर प्रतिबंध लगाने की तो कांग्रेस की राजनीतिक हैसियत बची नहीं है. लेकिन ऐसी बातें करके ही संघ के विस्तार में कांग्रेस नकारात्मक भूमिका निभा रही है ऐसा लगता है.संघ को लेकर कांग्रेस का डर सिर पर चढ़ गया लगता है. कांग्रेस प्रतिबंध के राग से तुष्टिकरण का सॉन्ग गाने की कितनी भी कोशिश करें, उसका वैचारिक धरातल खोखला हो चुका है. पहले इसको भरना होगा, फिर संघ का मुकाबला करने के लिए खड़े होने की ताकत बनेगी.
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