भोपाल। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा को कॉर्न सिटी का तमगा हासिल है। यहां के ज्यादातर किसान बड़े पैमाने पर मक्के की खेती करते हैं और प्रदेश के साथ देश के दूसरे प्रदेशों में भी बड़े पैमाने पर मक्का भेजा जाता है। पिछले कुछ सालों तक तो सब ठीक था लेकिन अब मक्का किसानों ने उपज के ठीक रेट नहीं मिलने के कारण आंदोलन की राह पकड़ ली है। किसानों की माने तो बढ़ती महंगाई और खेती के खर्चे काटकर भी उन्हें मक्के की फसल के रेट नहीं मिल रहे हैं मुनाफे की बात ही छोड़ दो।
कार्न सिटी में मक्का किसानों के साथ पूर्व सांसद नकुलनाथ सुर में सुर मिलाते नजर आ रहे हैं। कभी मंच से किसानों का साथ देते नजर आ रहे हैं तो कभी गले में भुट्टों की माला पहनकर विरोध जताते नजर आ रहे हैं तो कभी मंडी पहुंचकर मक्का किसानों से मिल रहे हैं। मक्के के भाव किसानों को नहीं मिल पा रहे हैं और व्यापारी औने-पौने दामों में मक्का खरीद रहे हैं। कहा जाए तो अब प्रदेश में मक्के के भाव को लेकर सियासी घमासान छिड़ गया है और सरकार ने भी चुप्पी साध ली है।
शीतकालीन विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस का प्रदर्शन
खास बात ये है कि केन्द्र सरकार ने मक्के की एमएसपी 2400 रुपए प्रति क्विंटल तय की है। किसानों का आरोप है कि इसके बाद भी मध्य प्रदेश सरकार मक्के की खरीदी एमएसपी पर नहीं कर रही है। जब सरकार एमएसपी पर खरीद नहीं कर रही है तो किसानों को औने-पौने दाम में मक्का व्यापारियों को बेचना पड़ रहा है। कहा जाए तो अब किसान मक्के के दाम को लेकर सरकार को घेरती नजर आ रही है। पूर्व सांसद नकुलनाथ मक्का किसानों का कंधे से कंधा मिलाकर साथ देते नजर आ रहे हैं। उधर , हाल ही में विधानसभा सत्र के दौरान भी विपक्ष ने सरकार को किसान विरोधी बताते हुए खाद, मुआवजे और एमएसपी को लेकर हंगामा किया था। यहां तक कि एक विधायक ने बंदर का रूप रखकर विधानसभा के बाहर सरकार के खिलाफ कई मुद्दों को लेकर प्रदर्शन किया था इसमें से एक किसानों से भी जुड़ा था। छिंदवाड़ा को मक्का नगरी के नाम से जाना जाता है। मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा मक्के की पैदावार छिंदवाड़ा में ही होती है। यहां मक्के की पैदावार के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु उपलब्ध है इसी कारण किसान पूरे जिले में मक्के की पैदावार में रुचि लेते हैं। यहां का मक्का अन्य प्रदेशों को भी निर्यात किया जाता है। सितंबर 2018 में यहां 2 दिवसीय मक्का महोत्सव का आयोजन किया गया था। एक रिपोर्ट के अनुसार यहां लगभग 88,881 हेक्टेयर क्षेत्र मक्के की खेती के लिए निर्धारित किया गया है। हांलाकि यह आंकड़ा हर साल कम ज्यादा हो सकता है। एक अन्य स्त्रोत के अनुसार कुछ साल पहले यहां 1,97,877 हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का उगाया गया था। जिसकी उत्पादकता 5023 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी। इसी कारण इसे मक्का की नगरी यानि कॉर्न सिटी भी कहा जाता है।
केन्द्र सरकार ने तय की है मक्का की एमएसपी
मक्के के भाव को लेकर बात की जाए तो केन्द्र सरकार ने मक्के की एमएसपी पहले से ही तय कर रखी है। केन्द्र सरकार ने मक्के के लिए 2400 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी तय की है। इसका मतलब साफ है कि किसानों को इतने रेट मिलना चाहिए और इससे कम रेट पर व्यापारियों को भी मक्के की खरीद नहीं करनी चाहिए। लेकिन मंडी में किसानों को 900 से 1500 रुपए के बीच ही दाम मिल रहे हैं। छिंदवाड़ा के किसान राजेश बताते हैं कि जब केंद्र सरकार ने मक्का खरीदी के लिए 2400 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य तय किया है तो मध्य प्रदेश सरकार समर्थन मूल्य पर मक्के की खरीदी क्यों नहीं कर रही है। उत्तरप्रदेश में सरकार 2400 रुपए के समर्थम मूल्य पर खरीदी कर रही है। व्यापारी तो चाहते हैं कि उन्हें मुफ्त में ही मक्का दे दो। प्रदेश का मक्का किसान खून के आंसू बहा रहा है और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है।
