“दिल्ली के आदेश और मेरी मजबूरी”

चड़ीगढ़। पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि उन्हें भी दिल्ली से मिले निर्देशों का पालन करना पड़ता है, जैसे पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को आम आदमी पार्टी (आप) के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के निर्देशों का पालन करना होता है। उन्होंने स्वीकार किया कि हर पार्टी की अपनी मजबूरियां होती हैं। कटारिया ने कहा कि उनके राज्यपाल रहते हुए कभी भी मुख्यमंत्री से टकराव नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि उन्होंने फाइलों पर उल्टी-सीधी बातें लिखने की परंपरा को तोड़ा है और मुख्यमंत्री मान उनका पूरा सम्मान करते हैं, और वे भी मुख्यमंत्री का सम्मान करते हैं।
पंजाब सरकार के साथ कामकाज और मतभेदों से जुड़े सवाल पर कटारिया ने कहा कि भले ही सरकार वैचारिक रूप से अलग हो, लेकिन काम उसी के साथ करना होता है। उन्होंने बताया कि जब उन्हें कोई बात समझ नहीं आती, वे मुख्यमंत्री से बात करके समझने की कोशिश करते हैं। 
कांग्रेस से कई नेताओं के बीजेपी में शामिल होने के सवाल पर कटारिया ने कहा कि कांग्रेस बिखर रही है और लोग उनकी विचारधारा को पसंद नहीं करते। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में कई अच्छे लोग भी रहे हैं, जैसे प्रणब मुखर्जी और नरसिम्हा राव, जिन्होंने देश को आर्थिक रूप से नई दिशा दी। कटारिया ने आरोप लगाया कि बाद में पार्टी में मूल्यों की जगह राजनीति प्रमुख हो गई और तुष्टीकरण के आधार पर देश को कमजोर किया गया, जिससे कांग्रेस कमजोर होती गई। उन्होंने कहा कि अच्छे लोग कांग्रेस में खुद को सहज महसूस नहीं करते थे, इसलिए वे पार्टी छोड़ गए।
राज्यपाल कटारिया ने कहा कि पंजाब में नशा और धर्मांतरण को दो बड़ी समस्याएँ है। उन्होंने कहा कि इन समस्याओं के खिलाफ मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने अपने सीमावर्ती जिलों के दौरे का जिक्र किया, जहाँ महिलाओं ने उनसे अपने बच्चों को नशे से बचाने की गुहार लगाई थी। उनकी आँखों में दर्द और करुणा ने उन्हें झकझोर दिया। उन्होंने बताया कि उन्होंने नशे के खिलाफ अभियान शुरू किया है और खुद पैदल यात्रा में शामिल हुए, जिसे लोगों का जबरदस्त समर्थन मिला।