विदेश मंत्री एस जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भाग लेने के लिए 13 जुलाई के आसपास चीन का दौरा करेंगे. पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 2020 के सैन्य गतिरोध के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव आने के बाद, जयशंकर की यह पहली चीन यात्रा होगी.
बताया जा रहा है कि विदेश मंत्री 14 और 15 जुलाई को आयोजित होने वाले एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए तियानजिन जाने से पहले अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ वार्ता करने को लेकर बीजिंग की यात्रा करेंगे.
चीन एससीओ का वर्तमान अध्यक्ष
विदेश मंत्री जयशंकर की यह यात्रा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए चीनी शहर चिंगदाओ की यात्रा के कुछ ही हफ्तों बाद हो रही है. चीन एससीओ का वर्तमान अध्यक्ष है और वह समूह की बैठकों की मेजबानी कर रहा है.
गलवान झड़प के बाद पहला दौरा
पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ था और उस साल जून में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया था. 21 अक्टूबर को अंतिम रूप दिए गए एक समझौते के तहत डेमचोक और देपसांग स्थित टकराव वाले दो अंतिम स्थानों से सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद गतिरोध प्रभावी रूप से खत्म हो गया.
कई मुद्दों पर हो सकती है चर्चा
जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच होने वाली द्विपक्षीय बैठक में LAC पर तनाव कम करने और दोनों देश के सैन्य बलों को शांति के समय एलएसी पर तैनाती वाली स्थिति में वापस लाने की कोशिशों को रफ्तार देने और इसके साथ ट्रेड और पीपल टू पीपल कॉन्टैक्ट जैसे संबंधों को सामान्य बनाने के तरीकों पर चर्चा होने की भी उम्मीद है.
फिर शुरू हुई कैलाश मानसरोवर यात्रा
हाल ही में दोनों देशों के बीच पांच साल के अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने पर सहमति बनी है. इसके अलावा, बीजिंग दोनों देशों के बीच व्यापार को सामान्य करने और सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने पर भी जोर दे रहा है.