मुंबई । मुंबई और दिल्ली में दर्शकों द्वारा ड्रामा ‘कॉक’ प्राइड मंथ के दौरान खूब सराहा गया। अभिनेत्री और निर्माता श्वेता त्रिपाठी का यह नाटक न केवल अपनी प्रस्तुति बल्कि विषयवस्तु के कारण भी चर्चा में रहा। इस मौके पर श्वेता त्रिपाठी ज़ोर देते हुए कहा कि क्वीर कहानियां केवल किसी महीने या मौके के लिए नहीं होतीं, बल्कि ये मानवीय अनुभव हैं, जिन्हें साल भर सम्मान और मंच मिलना चाहिए। ‘कॉक’, ब्रिटिश लेखक माइक बार्टलेट द्वारा लिखित और निर्देशक मनीष गांधी द्वारा निर्देशित एक बोल्ड और संवेदनशील नाटक है। इसकी कहानी एक पुरुष के इर्द-गिर्द घूमती है जो अपने पुरुष साथी और एक महिला के बीच के भावनात्मक और यौन आकर्षण को लेकर उलझन में है। यह नाटक प्यार, पहचान और सेक्सुअलिटी जैसे विषयों को गहराई से छूता है, और भारतीय रंगमंच में एलजीबीटीक्यू प्लस प्रतिनिधित्व को लेकर अहम बातचीत की शुरुआत करता है।
श्वेता त्रिपाठी ने इस नाटक को अपनी स्टेज प्रोडक्शन कंपनी ऑलमायटी के बैनर तले प्रस्तुत किया है। उन्होंने बताया कि यह प्रोजेक्ट उनके दिल के बेहद करीब है और वो चाहती हैं कि ऐसी कहानियों को सीमित आयोजनों तक न रखा जाए। उन्होंने कहा, “एक कलाकार और सहयोगी के तौर पर हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम ऐसी इंसानी कहानियों को मंच दें और उनका सम्मान करें। यह दुनिया विविधताओं से भरी है, और हमें उन्हें दिखाना चाहिए।” श्वेता अब इस नाटक को देश के अन्य हिस्सों में ले जाने की योजना बना रही हैं। उनका इरादा 2025 और 2026 तक ‘कॉक’ को और अधिक शहरों में प्रस्तुत करने का है, ताकि ज्यादा से ज्यादा दर्शकों तक इसकी भावनात्मक पहुंच बनाई जा सके।
नाटक के अलावा श्वेता एक क्वीर प्रेम कहानी पर आधारित अपनी पहली फिल्म के निर्माण की तैयारी भी कर रही हैं। यह फिल्म एक संवेदनशील विषय को छूने के साथ-साथ क्वीर समुदाय की भावनाओं को भी एक व्यापक दर्शक वर्ग तक पहुंचाने का प्रयास होगी। श्वेता त्रिपाठी का यह सफर यह बताता है कि विविधता को मंच देना, केवल प्रतिनिधित्व का सवाल नहीं, बल्कि संवेदना और सच्चाई को स्वीकारने का जरिया भी है। अभिनय की बात करें तो, श्वेता त्रिपाठी को हाल ही में साल 2023 में रिलीज़ हुई कॉमेडी फिल्म ‘कंजूस मखीचूस’ में देखा गया था। यह फिल्म प्रसिद्ध गुजराती नाटक ‘सजन रे झूठ मत बोलो’ पर आधारित है।
बोल्ड और संवेदनशील नाटक है ड्रामा ‘कॉक’
