भोपाल : कृषि उत्पादन आयुक्त अशोक वर्णवाल ने कहा है कि प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में किसानों की आमदनी को दोगुना करने के लक्ष्य पर निरंतर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों को कृषि की उन्नत तकनीकें अपनाने, फसलों के विविधीकरण तथा खेती के साथ पशुपालन, डेयरी, मत्स्य पालन आदि गतिविधियों के लिए प्रेरित किया जाए। सभी संबंधित विभाग आपसी समन्वय के साथ कार्य करें और किसानों के खेत पर जाकर उन्हें हर संभव सहायता उपलब्ध कराएं।
कृषि उत्पादन आयुक्त वर्णवाल ने बुधवार को नर्मदा भवन में रबी वर्ष 2024-25 की समीक्षा और खरीफ 2025 की तैयारियों संबंधी भोपाल एवं नर्मदापुरम संभाग की संयुक्त बैठक ली। बैठक में प्रमुख सचिव उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण अनुपम राजन, प्रमुख सचिव मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास डी.पी.आहूजा, सचिव कृषि एम.सेलवेन्द्रन, सचिव पशुपालन एवं डेयरी डॉ. सत्येन्द्र सिंह, संभागायुक्त भोपाल संजीव सिंह, संभागायुक्त नर्मदापुरम कृष्णगोपाल तिवारी आदि उपस्थित थे।
बैठक में बताया गया कि खरीफ 2024 में भोपाल जिले में एक लाख 7 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन, 28 हजार हेक्टेयर में धान, 8 हजार हेक्टेयर में मक्का तथा 1600 हेक्टेयर में अरहर बोई गई थी। इसी प्रकार रायसेन जिले में 58 हजार 932 हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन, 2 लाख 74 हजार 547 हेक्टेयर में धान, 16 हजार 489 हेक्टेयर में मक्का तथा 15 हजार 193 हेक्टेयर में अरहर, विदिशा जिले में तीन लाख 82 हजार 250 हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन, एक लाख 2 हजार 528 हेक्टेयर में धान, 21 हजार 931 हेक्टेयर में मक्का, 7 हजार 526 हेक्टेयर में उड़द तथा 3 हजार 882 हेक्टेयर में ज्वार, राजगढ़ जिले में 4 लाख 36 हजार 742 हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन, 28 हजार 301 हेक्टेयर में मक्का तथा सीहोर जिले में 3 लाख 20 हजार 920 हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन, 27 हजार हेक्टेयर में धान, 32 हजार हेक्टेयर में मक्का तथा एक हजार हेक्टेयर क्षेत्र में अरहर बोई गई थी। इस वर्ष धान के क्षेत्र में कमी तथा सोयाबीन और अरहर के क्षेत्र में वृद्धि की संभावना है।
कृषि उत्पादन आयुक्त वर्णवाल ने कहा कि किसानों को बीज की उन्नत किस्में बोने के लिए प्रेरित किया जाए। बायोफोर्टिफाइड गेहूँ के बीज में आयरन और जिंक की मात्रा होती है जो कि स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। किसानों को गेहूँ के इस बीज की किस्म एचआई 1650, 1636, 1633, 1655 बोने के लिए प्रेरित किया जाए। पूसा अरहर 16 अच्छी फसल है और इसका उत्पादन भी ज्यादा है। किसानों को फसलों के विविधीकरण के लिए प्रेरित करें।
वर्णवाल ने कहा कि किसानों को प्रेशराइज्ड पाइप प्रणाली के माध्यम से सिंचाई के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। खेत में पाइप लाइन डालने पर सरकार की ओर से अनुदान दिया जाता है। सभी जिलों में मृदा परीक्षण प्रयोग शालाएं कार्य कर रही हैं, इनके माध्यम से अधिक से अधिक मृदा परीक्षण करवाए जाएं। कस्टम हायरिंग केन्द्रों के माध्यम से किसानों को खेती के लिए उन्नत कृषि यंत्र एवं उपकरण भी उपलब्ध करवाए जाएं।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि किसानों को डीएपी उर्वरक के स्थान पर एनपीके उर्वरक इस्तेमाल करने की सलाह दी जाए। एनपीके में फसलों के लिए उपयोगी सभी पोषक तत्व होते हैं। उर्वरक वितरण के लिए डबल लॉक केन्द्रों का आधुनिकीकरण किया जाए तथा प्रयास किया जाए कि किसानों को लाइन में खड़ा न होना पड़े और उनके बैठने की अच्छी व्यवस्था की जाए।
वर्णवाल ने कहा कि किसानों को समझाया जाए कि नरबाई जलाना खेत के लिए अत्यंत हानिकारक है। नरवाई जलाने के स्थान पर हैप्पीसीडर, सुपर सीडर से बुआई करने पर खेत को नुकसान नहीं होता, उसके पोषक तत्व बने रहते हैं तथा उत्पादकता अधिक आती है। जिन किसानों ने हैप्पी सीडर का उपयोग कर बुआई की उन्हें बहुत अच्छे परिणाम मिले हैं, उन किसानों को रोल मॉडलों के रूप में प्रचारित करें।
शासन द्वारा ई मंडी प्रारंभ की गई है। किसानों को अपनी फसल बेचने में मंडियों में कम से कम समय लगना चाहिए। मंडियों को हाईटेक बनाने की कार्यवाही की जानी चाहिए। सरकार द्वारा फार्म गेट एप प्रारंभ किया गया है, इस पर किसान अपना पंजीयन कराके घर बैठे अपनी फसलें बेच सकता है।
मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास विभाग की समीक्षा के दौरान वर्णवाल ने कहा कि मछली पालन में पारम्परिक व्यवसाय के स्थान पर उद्यम के माध्यम से केज कल्चर एवं बायोफ्लॉक टेक्नोलॉजी द्वारा उत्पादन लक्ष्य को 05 गुना किया जा सकता है। केजकल्चर द्वारा नये एंटरप्रेन्योर को मछली पालन से जोड़कर भोपाल जिले को मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। मत्स्य समितियों के सदस्यों के सहकारी बैंकों में खाते खुलवायें तथा सभी पात्र मछली पालकों को मछुआ किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ दें। जल संवर्धन अभियान के अंतर्गत संभाग के सभी जिलों में अमृत सरोवर, खेत तालाब को बायोफ्लॉक टेक्नोलॉजी के माध्यम से मछली पालन के नये स्त्रोत के रूप में विकसित कर किसान को आर्थिक रूप से सशक्त कर सकते है। संभाग के सभी जिलों में एंटरप्रेन्योरशिप मछली पालन के लिये पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में प्रारंभ करें। भोपाल संभाग में 4165 तालाब एवं 7530 जल क्षेत्रों में मछली पालन किया जा रहा है। वर्ष 2024-25 में मत्स्योपादन 55135 मैट्रिक टन का है, जिसे एंटरप्रेन्योरशिप के माध्यम से दोगुना किया जा सकता है।
वर्णबाल ने पशुपालन विभाग की समीक्षा के दौरान निर्देश दिये कि सभी जिले दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिये नये मिल्क रूट बनाएं। पशुओं की नस्ल सुधार के माध्यम से दुग्ध उत्पादन में वृद्धि करें। पशुपालन एवं डेयरी सचिव डॉ. सतेन्द्र सिंह ने बताया कि भारत में दुग्ध उत्पादन में मध्यप्रदेश का तीसरा स्थान है। देश का 09 प्रतिशत दुग्ध उत्पादन मध्य प्रदेश (21.32 मिलियन टन) करता है। इसे बढ़ाकर 50 लाख टन करने का लक्ष्य रखा गया है और इसके लिये नये मिल्क रूट बनाए जायेंगे। पशुपालन विभाग के तहत पशुओं की नस्ल सुधार, पशु पोषण एवं रिस्क मेनेजमेंट आदि कार्य की समीक्षा की गई।