व्यापार : विदेशी निवेशकों ने प्रमुख भारतीय कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटाई है। वहीं घरेलू निवेशक लगातार अपनी उपस्थिति बढ़ा रहे हैं। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
क्या कहते हैं आंकड़े?
रिपोर्ट के अनुसार, निफ्टी 50 इंडेक्स की 50 कंपनियों में से विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने जून में लगभग 40 कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी कम कर दी। वहीं घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 44 कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा दी है।
इसमें कहा गया कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में तिमाही-दर-तिमाही आधार पर देखें तो डीआईआई ने निफ्टी-50 की 34 कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई। वहीं एफआईआई ने 28 कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी कम की।
डीआईआई स्वामित्व जून 2025 में सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचा
कुल मिलाकर डीआईआई स्वामित्व जून 2025 में 19.4 प्रतिशत के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। यह 170 आधार अंकों की वार्षिक वृद्धि को दर्शाता है। वहीं एफआईआई स्वामित्व घटकर 18.8 प्रतिशत रह गया, यह 20 आधार अंकों की कमी को दर्शाता है।
प्रमोटर्स होल्डिंग्स में आई बड़ी गिरावट
- प्रमोटर्स होल्डिंग्स, जो आमतौर पर अतीत में स्थिर रही हैं। यह जून 2025 में 49.3 प्रतिशत के सर्वकालिक निम्न स्तर पर तेजी से गिर गईं। यह वर्ष दर वर्ष 170 आधार अंक और तिमाही दर तिमाही 20 आधार अंक कम है।
- रिपोर्ट के अनुसार, यह गिरावट वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही के दौरान प्राथमिक बाजारों में आई तेजी के कारण हुई। इस दौरान उच्च मूल्यांकन और निवेशकों की मजबूत मांग ने कई प्रमोटरों को अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए प्रोत्साहित किया। हालांकि, खुदरा हिस्सेदारी 12.4 प्रतिशत पर स्थिर रही, जिसमें साल-दर-साल मामूली 10 आधार अंकों की वृद्धि हुई और तिमाही-दर-तिमाही कोई बदलाव नहीं हुआ।
- इसमें यह भी बताया गया है कि प्राथमिक और द्वितीयक बाजारों में उछाल ने निजी कंपनियों में अधिक प्रमोटरों को अपनी हिस्सेदारी कम करने के लिए प्रोत्साहित किया। इससे निफ्टी 500 कंपनियों में प्रमोटर होल्डिंग जून 2025 में 46.9 प्रतिशत के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई।
- प्रमोटर होल्डिंग का मतलब है किसी कंपनी के शेयरों का वह प्रतिशत जो कंपनी के प्रमोटरों के पास होता है। प्रमोटर आमतौर पर कंपनी के संस्थापक, प्रमुख हितधारक या वरिष्ठ प्रबंधन होते हैं।
निजी कंपनियों में एफआईआई और डीआईआई का प्रदर्शन
आंकड़ों से पता चला कि जून में निजी कंपनियों में एफआईआई की हिस्सेदारी साल-दर-साल आधार पर 60 आधार अंक गिरी, लेकिन तिमाही-दर-तिमाही आधार पर इसमें 10 आधार अंक की मामूली वृद्धि देखी गई। यह जून 2025 में 20.2 प्रतिशत हो गई। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) में एफआईआई की हिस्सेदारी तिमाही-दर-तिमाही आधार पर 30 आधार अंक गिरकर 17.7 प्रतिशत हो गई, लेकिन साल-दर-साल आधार पर 120 आधार अंक अधिक रही।
इस बीच, निजी कंपनियों में डीआईआई की हिस्सेदारी बढ़कर 19.2 प्रतिशत के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई। यह पिछले वर्ष की तुलना में 190 आधार अंक अधिक है। वहीं सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (PSU) में उनकी हिस्सेदारी तिमाही-दर-तिमाही 20 आधार अंक घटकर 18.6 प्रतिशत रह गई। हालांकि यह अभी भी पिछले वर्ष की तुलना में 120 आधार अंक अधिक है।