अनाज से लेकर मशीन तक सख्ती! गैर-बासमती चावल पर निर्यात बैन, चीन से आने वाली क्रेनों पर डंडा

व्यापार: सरकार ने बुधवार को कहा, गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) में पंजीकरण के बाद ही दी जाएगी। एपीडा वाणिज्य मंत्रालय की एक शाखा है। डीजीएफटी ने कहा, गैर-वासमती चावल की निर्यात नीति में अतिरिक्त शर्त जोड़ी गई है। इसके तहत, गैर-बासमती चाबल निर्यात की मंजूरी एपीडा से अनुबंध पंजीकरण के बाद ही दी जाएगी।

चीन से क्रेन आयात पर लगेगा डंपिंग-रोधी शुल्क
व्यापार उपबार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने चीन से कुछ क्रेनों के आयात पर पांच वर्षों के लिए डंपिंग-रोधी शुल्क लगाने की सिफारिश की है। इसका उद्देश्य घरेलू उत्पादकों को सस्ते आयात से बचाना है। चीनी उत्पाद को सामान्य मूल्य से कम कीमत पर भारत में निर्यात किया गया है। क्रेन का उपयोग बुनियादी ढाँचा और सड़कों जैसी परियोजनाओं, में किया जाता है।

जैविक उत्पादों के द्विपक्षीय व्यापार को मिलेगा बढ़ावा
भारत-ऑस्ट्रेलिया ने जैविक उत्पादों के व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए एक समझौते पारस्परिक मान्यता व्यवस्था (एमआरए) पर बुधवार को हस्ताक्षर किए। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, इस समझौते के तहत दोनों देश एक-दूसरे के जैविक मानकों और प्रमाणन प्रणाली को मान्यता देंगे, जिससे व्यापार में बाधाएं कम होंगी और प्रमाणन की समानता सुनिश्चित होगी। इस एमआरए के तहत भारत और ऑस्ट्रेलिया में उगाए और प्रोसेस किए गए जैविक उत्पादों पर यह व्यवस्था लागू होगी। वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि जैविक उत्पाद बाजार में 30-40 प्रतिशत अधिक मूल्य रखते हैं, जिससे किसानों को बेहतर आय और जीवन स्तर का लाभ मिलेगा। 

विशेष दर वाली आय पर टैक्स छूट का दावा नहीं कर सकते करदाता: सीबीडीटी
करदाता आयकर कानून की धारा 87ए के तहत उस आय पर कर छूट का दावा नहीं कर सकते, जिस पर विशेष दरों पर कर लगाया जाता है। इसमें शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी) भी शामिल है।

2023-24 में कई करदाताओं ने शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर छूट का दावा किया था, लेकिन आयकर विभाग ने खारिज कर दिया था। ऐसे करदाताओं को अब बकाया टैक्स भरना होगा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा, अब ऐसे करदाताओं को 31 दिसंबर तक बकाया टैक्स चुकाना होगा। फिर ब्याज भी देना होगा। यह उन मामलों पर भी लागू होगा, जहां पहले गलती से छूट दी गई थी। कई मामलों में रिटर्न गलत प्रोसेस किए गए थे। अब इन गलतियों पर नया नोटिस जारी किया जा रहा है।

हाई कोर्ट तक पहुंचा मामला
2023-24 के लिए छूट की सीमा पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत 5 लाख और नई व्यवस्था के तहत 7 लाख रुपये थी। इसने कर देयता को शून्य करने में मदद की, लेकिन यह छूट एसटीसीजी जैसी विशेष दरों पर नहीं थी। बाद में यह मामला बॉम्बे हाई कोर्ट में गया था। इसमें आयकर विभाग से करदाताओं को रिटर्न संशोधित करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था। जनवरी में ऐसे संशोधनों के लिए 15 दिनों की अवधि तय की गई थी। बाद में भी कई करदाताओं को बकाया नोटिस मिला। फिर बजट में छूट के लिए पात्र नहीं होने का नियम जारी कर दिया गया।

मंदी के कारण युवा उपभोक्ता कम ले रहे कर्ज, घटकर छह फीसदी रह गई वृद्धि दर
मांग में मंदी के कारण युवा उपभोक्ता अब कम कर्ज ले रहे हैं। ट्रांसयूनियन सिबिल की रिपोर्ट के अनुसार, जून तिमाही में युवा ग्राहकों की लोन वृद्धि दर घटकर 6 फीसदी रह गई है। एक साल पहले समान तिमाही में यह 9 फीसदी थी। 18-35 साल के ग्राहकों की रिपोर्ट से पता चलता है कि जून तिमाही में क्रेडिट मार्केट इंडिकेटर (सीएमआई) एक साल पहले इसी अवधि की तुलना में गिरकर 98 पर आ गया। सीएमआई एक समग्र सूचकांक है जो मांग, आपूर्ति, उपभोक्ता व्यवहार और प्रदर्शन के आधार पर देश के ऋण बाजार की स्थिति पर नजर रखता है। जून तिमाही के दौरान कुल मांग में युवा उपभोक्ताओं की हिस्सेदारी घटकर 56 फीसदी रह गई। एक साल पहले यह 58 फीसदी थी। पर्सलन लोन, कंज्यूमर ड्यूरेबल और गोल्ड लोन के लिए पूछताछ जरूर मजबूत रही, लेकिन क्रेडिट कार्ड की मांग में गिरावट आई। महानगरों और शहरी क्षेत्रों में युवा उधारकर्ताओं के लोन लेन में भी दो वर्षों में तीन फीसदी की गिरावट आई है। इस क्षेत्र में ऋण की मांग में हालिया गिरावट अधिक सतर्क मानसिकता को दिखाती है। ग्रामीण और अर्ध-शहरी बाजारों में पर्सनल लोन प्राप्ति में सबसे अधिक 15 फीसदी की वृद्धि देखी गई। इसके बाद कंज्यूमर ड्यूरेबल में 9 फीसदी और गोल्ड लोन में 7 फीसदी की वृद्धि हुई।

मैनफोर्स ने एआई मॉडल को बनाया ब्रांड अंबेसडर
मैनकाइंड फार्मा ने फंतासी की नई मिसाल पेश करते हुए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) से बनाई मॉडल माइरा कपूर को ब्रांड अंबेसडर बनाया है। कंपनी ने टीवी पर विज्ञापन के जरिये माइरा को लॉन्च करने की घोषणा भी की।

डब्ल्यूटीओ में चीन ने विकासशील देश का दर्जा छोड़ दिया
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के समझौतों में विकासशील देशों को दिए जाने वाले विशेष व्यवहार की मांग से चीन हट गया है। उसने कहा वह अब ऐसी मांग नहीं करेगा। इसकी लंबे समय से अमेरिका मांग कर रहा था। चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने अमेरिका का नाम लिए बिना कहा, यह कदम वैश्विक व्यापार प्रणाली को ऐसे समय में बढ़ावा देने का प्रयास है जब यह दुनिया टैरिफ, युद्धों व कुछ देशों की संरक्षणवादी कदमों के खतरे में है।