व्यापार : आम आदमी को बड़ी राहत मिलेगी। जीएसटी के दो स्लैब होने से जीवन व स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम, दवाएं, टूथब्रश और बालों के तेल पर शून्य टैक्स हो सकता है। छोटी कारों, एसी, टीवी व फ्रिज पर टैक्स दरें कम हो सकती हैं। हालांकि तंबाकू व सिगरेट महंगे हो जाएंगे।
प्रस्तावित जीएसटी 2.0 ढांचा के तहत सरकार वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी के दो स्लैब 5 और 18 फीसदी लाएगी। बीमा प्रीमियम पर जीएसटी 18% के बजाय शून्य या 5% के दायरे में आ सकता है। इससे आम सहित वरिष्ठ नागरिकों व बीमा कंपनियों को फायदा होगा।
खाद्य पदार्थ, दवाइयां, चिकित्सा उपकरण, स्टेशनरी, शैक्षिक उत्पाद और टूथब्रश व बालों के तेल सहित जरूरी वस्तुएं या तो कर मुक्त रहेंगी या 5 फीसदी दायरे में आ जाएंगी। टीवी, एसी व रेफ्रिजरेटर जैसी वस्तुएं 28 के बजाय 18 फीसदी की श्रेणी में आ सकती हैं। सरकार ने विशेष ध्यान देने वाले क्षेत्रों के रूप में ऑटोमोबाइल, हस्तशिल्प, कृषि उत्पाद, कपड़ा व उर्वरक की भी पहचान की है।
छोटी कारों पर 10 फीसदी घटेगा टैक्स
छोटी पेट्रोल और डीजल कारों पर कर मौजूदा 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी किया जा सकता है। इससे हाइब्रिड कारों व दोपहिया वाहनों को भी फायदा होगा। उस पर भी टैक्स घटाने की योजना है। इससे कारों की बिक्री 15 से 20% बढ़ सकती है।
उच्च इंजन क्षमता वाली कारों पर 40 फीसदी कर
उच्च इंजन क्षमता वाली कारों पर अभी 28 फीसदी जीएसटी और 22 फीसदी तक अतिरिक्त शुल्क के साथ कुल 50 फीसदी कर लगता है। यह 40 फीसदी पर आ सकता है। इस बात पर विचार किया जा रहा है कि क्या बड़ी कारों पर कुल कर 43%-50% के समान ही रखने के लिए 40% के ऊपर कोई अतिरिक्त शुल्क लगाया जाना चाहिए।
जीएसटी सुधारों का उद्देश्य
जीएसटी सुधारों का उद्देश्य खुदरा कीमतों को कम करना है। सीमेंट सस्ता हो सकता है। खुदरा सामान और चप्पल-जूतों के भी सस्ता होने की उम्मीद है।
ट्रैक्टर पर 12 की जगह 5 फीसदी टैक्स
ब्रोकरेज फर्म जेफरीज का मानना है कि ट्रैक्टर पर वर्तमान में 12% का कर 5% स्लैब में आ सकता है। एसी 18% कर स्लैब में आ सकता है। खाद्य पदार्थों पर 12 की जगह 5% टैक्स हो सकता है।
मांग में 2.4 लाख करोड़ की बढ़त
जीएसटी सुधार की घोषणा से 2.4 लाख करोड़ रुपये की मांग में वृद्धि का अनुमान है। दरों में कटौती से निम्न आय वाले परिवारों पर बोझ कम होगा। मॉर्गन स्टेनली ने कहा, खुदरा महंगाई में 0.40 फीसदी की गिरावट का अनुमान है।
जीएसटी में चार स्लैब का इस तरह योगदान
- 5 प्रतिशत स्लैब का कुल जीएसटी राजस्व में 7 प्रतिशत योगदान।
- 18 प्रतिशत स्लैब का 65 प्रतिशत।
- 12 फीसदी स्लैब का 5
- 28 प्रतिशत स्लैब का 11 प्रतिशत योगदान।
दो स्लैब के लागू होने से क्या होगा?
दो स्लैब के लागू होने पर 12 प्रतिशत स्लैब में शामिल 99 प्रतिशत वस्तुएं 5 प्रतिशत और शेष 18 प्रतिशत के स्लैब में आ जाएंगी। 28 प्रतिशत के स्लैब में शामिल 90 प्रतिशत वस्तुएं और सेवाएं 18 प्रतिशत स्लैब में आ जाएंगी। केवल 5-7 वस्तुएं ही 40% दर में रहेंगी। 2021-22 में औसत मासिक जीएसटी संग्रह 1.51 लाख करोड़ से बढ़कर 2024-25 में 1.84 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
नमकीन, पराठे और केक पर विवाद होगा खत्म
सरलीकृत स्लैब संरचना से नमकीन, पराठे, बन और केक जैसी वस्तुओं पर वर्गीकरण संबंधी विवाद समाप्त होंगे। इन पर पहले सामग्रियों के आधार पर अलग-अलग कर दरें लागू होती थीं। हीरे और कीमती पत्थरों पर 0.25 फीसदी और आभूषणों पर तीन फीसदी जैसी विशेष दरें जारी रहेंगी।