सालाना ₹85000 करोड़ का नुकसान झेलेगी सरकार, जीएसटी बदलाव से उपभोक्ताओं को राहत

व्यापार : वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी में दो स्लैब की प्रस्तावित योजना से सरकार को सालाना 85,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो सकता है। हालांकि, इससे लोगों की खर्च करने की क्षमता 1.98 लाख करोड़ रुपये बढ़ जाएगी। एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट ने कहा, 5 और 18 प्रतिशत की दो दरों वाली संरचना की योजना सरकार की है। पान मसाला और तंबाकू जैसी वस्तुओं सहित 5-7 चुनिंदा वस्तुओं पर 40 प्रतिशत कर लगाया जाएगा।

चालू वित्त वर्ष में नई कर दरों की अवधि अक्तूबर-मार्च मानते हुए राजस्व घाटा 45,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रभावी भारित औसत जीएसटी दर शुरुआत के समय 14.4 प्रतिशत से घटकर सितंबर, 2019 में 11.6 प्रतिशत हो गई थी। दरों के वर्तमान तर्कसंगत को देखते हुए प्रभावी भारित औसत जीएसटी दर घटकर 9.5 प्रतिशत हो सकती है। हालांकि, उपभोग में वृद्धि महंगाई को नहीं बढ़ाएगी, क्योंकि प्रस्तावित जीएसटी व्यवस्था में ज्यादातर उपभोग की वस्तुओं पर कर कम हो जाएंगे।

सीपीआई महंगाई 0.20 फीसदी से 0.25 फीसदी के दायरे में हो सकती है कम

रिपोर्ट में कहा गया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई महंगाई 0.20 फीसदी से 0.25 फीसदी के दायरे में कम हो सकती है। चूंकि आवश्यक वस्तुओं (खाद्य, कपड़ा, आदि) की जीएसटी दर 12 प्रतिशत से घटकर 5 प्रतिशत होने की उम्मीद है, इसलिए खाद्य वस्तुओं पर 60 प्रतिशत प्रभाव को ध्यान में रखते हुए इस श्रेणी में सीपीआई मुद्रास्फीति भी 10-15 आधार अंकों तक कम हो सकती है।

आयकर कटौती को मिलाने पर 5.31 लाख करोड़ खर्च की बढ़ेगी क्षमता

चालू वित्त वर्ष के बजट में घोषित आयकर दरों में कटौती के लाभों को मिला दें तो लोगों के पास 5.31 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च करने की क्षमता बढ़ जाएगी। यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 1.6 प्रतिशत है। केंद्र के प्रस्ताव पर बुधवार और बृहस्पतिवार को राज्यों के वित्त मंत्रियों की एक समिति चर्चा करेगी। मंजूरी मिलने के बाद इसे अगले महीने जीएसटी परिषद की बैठक में पेश किया जाएगा।