रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर बुधवार को भारतीय वायुसेना के भव्य एयर-शो की गवाह बनी। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में लाखों लोगों ने भारतीय वायुसेना की ताकत, अनुशासन और अद्भुत हवाई करतबों का अनुभव किया।
एयर-शो की शुरुआत आकाशगंगा पैराशूट डिस्प्ले टीम ने की। इस टीम के 6 सदस्य AN-32 विमान से लगभग 8000 फीट की ऊंचाई से पैराशूट के जरिए मैदान में उतरे। टीम का नेतृत्व वारंट ऑफिसर जितेन्द्र सिंह कर रहे थे। उन्होंने बताया कि रायपुर में लैंडिंग क्षेत्र सीमित था—केवल 40 मीटर चौड़ा और 100 मीटर लंबा—और पास में झील होने की वजह से जंपिंग चुनौतीपूर्ण रही। बावजूद इसके, अनुभवी इंस्ट्रक्टरों ने शानदार प्रदर्शन किया।
आकाशगंगा टीम, जो 10 अगस्त 1987 में गठित हुई थी, देशभर के स्पेशल फोर्सेज और कमांडो यूनिट्स को पैरा जंपिंग ट्रेनिंग देती है। हर इंस्ट्रक्टर ने 500 से अधिक जंप किए हैं और किसी भी परिस्थितियों में सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित कर सकते हैं।
पैराशूट प्रदर्शन के बाद मंच संभाला सूर्यकिरण एरोबेटिक टीम ने। इस टीम ने लाल और सफेद विमानों से “फ्लाइंग एरो”, “हार्ट फॉर्मेशन” और “सिंक्रोनाइज्ड रोल” जैसे करतब दिखाए। पायलटों ने 500 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से मोड़ और फॉर्मेशन पूरे समन्वय के साथ किए, जिससे दर्शक रोमांचित हो उठे।
एयर-शो का मुख्य उद्देश्य था लोगों को वायुसेना की क्षमता, साहस और प्रोफेशनलिज्म से परिचित कराना, विशेषकर युवाओं में वायुसेना के प्रति आकर्षण बढ़ाना। सेंध लेक और आसपास की सड़कों पर भीड़ नियंत्रण के लिए प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए।
कार्यक्रम के अंत में सूर्यकिरण टीम ने आसमान में भारतीय ध्वज के तीन रंगों का धुआं बनाकर शानदार समापन किया। इस भव्य प्रदर्शन ने रायपुरवासियों में देशभक्ति और गर्व की भावना को और प्रबल किया।
रायपुर का यह एयर-शो न केवल दर्शनीय रहा बल्कि भारतीय वायुसेना के साहस, तकनीकी निपुणता और अनुशासन का जीवंत प्रमाण भी प्रस्तुत किया।
