गोहत्या एवं तस्करी के आरोपित पर बार बार गैंग्सटर एक्ट का मुकदमा दर्ज किए जाने पर हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है। मामले में डीएम, एसएसपी और खालापार थाना प्रभारी को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है। इन्हें सात जुलाई को हाई कोर्ट में अपना पक्ष रखना होगा।
खालापार थाना प्रभारी निरीक्षक महावीर सिंह चौहान द्वारा 28 मई को इकरार उर्फ कालिया कुरैशी पुत्र मोहम्मद उमर निवासी गहराबाग थाना खालापार, शादाब उर्फ चीड़ा पुत्र कय्यूम, मन्शाद उर्फ सोना पुत्र साबिर, रिजवान उर्फ रिज्जू पुत्र यामीन, निसार पुत्र शरीफ निवासीगण लीकड़ा पट्टी थाना खालापार के विरुद्ध गैंग्सटर एक्ट में अभियोग पंजीकृत किया था।
विसार और रिजवान को कोर्ट से जमानत मिल चुकी है, जबकि तीन आरोपित जेल में बंद हैं। सोमवार को मन्शाद द्वारा जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया है। जिन्होंने पुराने मामलों के आधार पर बार-बार गैंग्सटर एक्ट लगाकर उसे जेल में बनाए रखा।
हाईकोर्ट ने माना कि यह केवल एसएचओ की मनमानी नहीं बल्कि एसएसपी और जिलाधिकारी की भी घोर लापरवाही को दर्शाता है, जिन्हें संयुक्त बैठक करते समय नियम पर विवेकपूर्ण विचार करना चाहिए था।
हाई कोर्ट ने कहा कि आरोपित के खिलाफ पहले ही 2015 में गैंग्सटर एक्ट के तहत मामला दर्ज था, इसके बावजूद 2023, 2024 और 2025 में पुराने मामलों के आधार पर फिर से यही कानून लागू कर दिया गया। यह दोहरावपूर्ण कार्रवाई दुर्भावनापूर्ण प्रतीत होती है।
हाई कोर्ट ने खालापार थाना प्रभारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी को सात जुलाई को अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश दिए हैं। इन सभी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर यह स्पष्ट करना होगा कि उनके द्वारा कानून का ऐसा निर्लज्ज दुरुपयोग क्यों किया गया।
उधर, एसएसपी संजय कुमार वर्मा का कहना है कि बार बार अपराध किए जाने के कारण पुलिस कार्रवाई करती है। मन्शाद ने पूर्व में गैंग्सटर एक्ट का मुकदमा दर्ज होने के बाद फिर से वारदातों को अंजाम दिया, इसी कारण यह कार्रवाई हुई। हाई कोर्ट में जवाब दाखिल किया जाएगा।