मुंबई । सोशल मीडिया पर फिल्मकार शेखर कपूर ने एक बार फिर रचनात्मकता को लेकर अपनी गहरी सोच साझा की है। शेखर कपूर का मानना हैं कि सच्ची रचनात्मकता बनाए रखने के लिए इंसान को अपने भीतर के बालपन को संजोकर रखना चाहिए। इंस्टाग्राम पर उन्होंने मशहूर कलाकार पाब्लो पिकासो का उद्धरण साझा किया “हर बच्चा कलाकार होता है। समस्या यह है कि हम बड़े होकर भी कलाकार कैसे बने रहें।”
इस पोस्ट के जरिये उन्होंने अपने फॉलोअर्स को याद दिलाया कि बड़ा होना हमेशा ‘सामान्य’ बन जाना नहीं होता, बल्कि भीतर की जिज्ञासा और निडरता को जिंदा रखना ही असली विकास है। कपूर ने एक किस्सा भी साझा किया जिसमें वह खुद से बार-बार होने वाली बातचीत का जिक्र करते हैं ‘बड़े हो जाओ, शेखर।’ जवाब में वह कहते, ‘ज़रूर, लेकिन किस तरह से?’ और जब उत्तर मिलता, ‘जैसे सब होते हैं, सामान्य,’ तो वह ठुकरा देते ‘नहीं, शुक्रिया, मैं बड़ा नहीं होना चाहता।’ उन्होंने लिखा कि यह संवाद उन्होंने अनगिनत बार दोहराया है और शायद जीवन के अंत तक करते रहेंगे, क्योंकि उनके लिए ‘अनग्रोअन’ यानी बालसुलभ बने रहना ही रचनात्मकता का आधार है।
उनके मुताबिक, हर बच्चा रचनात्मक होता है क्योंकि वह पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर दुनिया को नई नजरों से देखता है। यही निष्पक्ष जिज्ञासा कलाकार को लगातार देखने, सीखने और सवाल करने के लिए प्रेरित करती है। असली रचनात्मकता, कपूर के अनुसार, इसी बालसुलभ दृष्टिकोण से जन्म लेती है, जो परंपराओं या सीमाओं में बंधी नहीं होती। शेखर कपूर इन दिनों अपने अगले प्रोजेक्ट ‘मासूम: द नेक्स्ट जनरेशन’ की तैयारी में जुटे हैं। ऐसे में उनका यह दृष्टिकोण और भी प्रासंगिक हो जाता है, क्योंकि यह फिल्म भी बच्चों की मासूमियत और दृष्टि से प्रेरित है।
इंसार को बालपन को संजोकर रखना चाहिए: शेखर कपूर
