इंदौर: मध्य प्रदेश सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल ने नर्मदा परिक्रमा को लेकर एक पुस्तक लिखी है. जिसका विमोचन करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत इंदौर पहुंचे. उन्होंने पुस्तक का विमोचन करते हुए कई तरह की बातों का जिक्र किया है, जिसमें उन्होंने एक बात कही कि "हम कभी नहीं बटे, कुछ बटे थे तो उन्हें भी मिला लेंगे.''
30 साल पहले के अनुभव पुस्तक में लिखे
मध्य प्रदेश सरकार के ग्रामीण एवं कृषि मंत्री प्रहलाद पटेल की पुस्तक नर्मदा परिक्रमा का विमोचन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संचालक मोहन भागवत सहित मुख्यमंत्री मोहन यादव, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर और अन्य लोगों ने शिरकत की. इस अवसर पर प्रहलाद पटेल ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि "30 वर्ष पूर्व उन्होंने गुरुदेव की सेवा करते हुए नर्मदा परिक्रमा की थी. उस समय राजनीति से कोई संबंध नहीं था. केवल मां नर्मदा और गुरुदेव की कृपा से यह संभव हुई है. उसी के अनुभव को उन्होंने पुस्तक के रूप में प्रस्तुत किया है.''
किताब में बताया क्या है असली सुख
पटेल ने अपनी पुस्तक में बताया है कि, ''पर्यावरण और नदियों की रक्षा का संकल्प हर व्यक्ति को लेना चाहिए. असली सुख बाहरी साधनों से नहीं बल्कि भीतर की खोज से मिलता है. यही भारतीय संस्कृति की विशेषता है, जो विविधता में एकता का संदेश देती है.'' इसी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पहुंचे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि "दुनिया में झगड़ा इसलिए होते हैं क्योंकि लोग मैं और मेरा की भावना में बंधे रहते हैं."
'धर्म का वास्तविक अर्थ है किसी को दुख न देना'
मोहन भागवत ने बताया कि "धर्म का वास्तविक अर्थ है किसी को दुख न देना. दुनिया लॉजिक से नहीं धर्म से चलती है." उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा, "ज्ञान और कर्म दोनों जरूरी है केवल ज्ञानवान होकर निष्क्रिय रहना गड़बड़ी करता है. हम कभी नहीं बटे, कुछ बटे थे तो उन्हें भी मिला लेंगे." उन्होंने आगे कहा कि "पहले गला काटने और जेब काटने का काम दर्जी करते थे अब पूरी दुनिया यही कर रही है."