व्यापार: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) छोटे लोन वसूलने के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों को और शक्ति देने की तैयारी कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक, अगर कोई ग्राहक किस्त पर खरीदे गए मोबाइल फोन का लोन नहीं चुकाता है तो बैंक दूर से ही फोन को लॉक कर सकेंगे। यह कदम बकाया लोन की वसूली को आसान बनाने के लिए उठाया जा रहा है। हालांकि, यह भी आशंका जताई जा रही है कि इसके चलते उपभोक्ता अधिकारों को लेकर विवाद खड़ा हो सकता है।
भारत में एक-तिहाई से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक सामान, जिनमें मोबाइल फोन भी शामिल हैं, छोटे लोन पर खरीदे जाते हैं। टेलीकॉम रेगुलेटर के अनुसार, देश में 1.16 अरब से अधिक मोबाइल कनेक्शन हैं। सूत्रों के मुताबिक, आरबीआई ने पिछले साल बैंकों को इस तरीके को रोकने के लिए कहा था, जिसमें लोन जारी करते समय एक एप इंस्टॉल किया जाता था और डिफॉल्ट होने पर उससे फोन को लॉक किया जाता था। अब परामर्श के बाद, आरबीआई ने अपने निष्पक्ष व्यवहार संहिता को अपडेट करने जा रहा है। नए नियमों में बैंकों को फोन लॉक करने से पहले ग्राहक की स्पष्ट सहमति लेना अनिवार्य होगा और यह भी सुनिश्चित करना होगा कि फोन लॉक होने पर भी ग्राहकों का निजी डेटा सुरक्षित रहे।
इस नियम से छोटे लोन की वसूली आसान हो जाएगी
एक सूत्र के अनुसार, अगर यह नियम लागू होते हैं तो बजाज फाइनेंस, डीएमआई फाइनेंस और चोलामंडलम फाइनेंस जैसी कंपनियों को बड़ा फायदा हो सकता है, क्योंकि इससे छोटे लोन की वसूली आसान हो जाएगी और कमजोर क्रेडिट हिस्ट्री वाले ग्राहकों को भी आसानी से लोन मिल सकेगा। जानकारी के मुताबिक, 1 लाख रुपये से कम के लोन में डिफॉल्ट की संभावना ज्यादा रहती है और नॉन-बैंकिंग कंपनियां इस श्रेणी के 85% लोन देती हैं। हालांकि, उपभोक्ता अधिकार कार्यकर्ता इसे टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग बता रहे हैं। कैशलेस कंज्यूमर नामक संस्था के संस्थापक श्रीकांत एल ने कहा, यह तरीका लोगों को उनकी रोजमर्रा की जरूरतों से वंचित कर देगी। मोबाइल फोन आज शिक्षा, रोजगार और वित्तीय सेवाओं का जरिया है। इसे लॉक करना लोगों पर दबाव बनाने का हथियार बन जाएगा।