वन विभाग की मिलीभगत? साल-सागौन की अवैध कटाई जारी, तस्कर मनमाने दामों पर कमा रहे मुनाफा

जंगलों में सागौन साल के पेड़ों की अवैध रूप से कटाई किया जा रहा है। अवैध सागौन की कटाई के कारण नगर व क्षेत्र के गांवों में अवैध फर्नीचर दुकान एवं मर्ट का जमकर संचालन हो रहा है। वन विभाग के आला अधिकारियों को अवैध रूप से संचालित हो रहे दुकानों के संबंध में जानकारी होने के बावजूद अवैध फर्नीचर संचालकों पर कार्रवाई नहीं किया जा रहा है।

वन विभाग के साठगांठ से दर्जनों फर्नीचर मार्ट संचालित हो रहा

भानुप्रतापपुर और आसपास के क्षेत्र में इन दिनों एक दर्जन से अधिक अवैध फर्नीचर मार्ट संचालित हो रहा है। फर्नीचर का निर्माण कर मनमाने दामों में बेचा जा रहा है। अचानक जंगलों की अवैध कटाई और फर्नीचर की दुकानों की भरमार हो जाने के कारण जांच की मांग उठने लगी। कुछ दिनों पहले दुर्गुकोंदल परिक्षेत्र के दमकसा क्षेत्र के जंगलों से लकड़ी तस्करों द्वारा सेमर की लड़की का अवैध कटाई कर बाहर ले जाया जा रहा था जिसे दुर्गुकोंदल वन परिक्षेत्र अधिकारी मुकेश नेताम व टीम द्वारा गाड़ी के साथ पकड़ा गया था।

एक मोटरसाइकिल व एक माजदा वाहन को भी जब्त किया गया था लेकिन राजनैतिक दबाव होने के कारण बिना कार्यवाही पूर्ण हुए जब्त वाहनों को छोड़ दिया गया। वहीं इरागांव, दाबकटा, केवटी, परवी, खड़का भुरका, कोरर, हाटकार्रा, उच्चपानी, दमकसा, जाड़ेकुर्से, लोहात्तर सहित दुर्गुकोंदल, भानुप्रतापपुर व कोरर वन परिक्षेत्र के कई अंदुरुनी गांवो में अवैध रूप से सागौन के पेड़ों की कटाई का दौर जारी हैं। लकड़ी को भानुप्रतापपुर, सम्बलपुर, कोरर, दुर्गुकोंदल में संचालित फर्नीचर मार्टों में सप्लाई किया जा रहा है।

फर्नीचर मार्ट संचालित दुकानदारों का दस्तावेजों को प्रति वर्ष परिक्षेत्र कार्यालय से रिनिवल कराना होता हैं लेकिन इस वर्ष भानुप्रतापपुर वन परिक्षेत्र कार्यालय में एक भी फर्नीचर मार्ट संचालक रिनिवल के लिए कोई दस्तावेज जमा नहीं किये हैं। उसके बाद भी वन विभाग द्वारा नगर व क्षेत्र में संचालित फर्नीचर मार्टों पर कोई कार्यवाही नहीं कर रही हैं। जिससे साफ जाहिर हो रहा है कि वन विभाग के साठगांठ से दर्जनों फर्नीचर मार्ट संचालित हो रहा है।

अधिकारियों को मुफ्त में फर्नीचर सप्लाई

फर्नीचर मार्टों में अंदरूनी गांवों से सागौन, साल व अन्य लकड़ियों का सिल्ली मंगाया जाता है जिसे फर्नीचर संचालक दरवाजा, सोफा, दिवान, चौखट सहित अन्य सामग्री बनाकर बेच रहे हैं। वन विभाग को कार्यवाही नहीं करने के लिए बड़े अधिकारियों मुफ्त में फर्नीचर दिया जा रहा है व मोटी रकम भी दिया जा रहा है। वन विभाग के अधिकारियों के शासकीय आवासों का अगर जांच किया जाए तो सचाई सबके सामने आ जाएगी। यही कारण है कि बिना दस्तावेजों के नगर व क्षेत्र में अवैध फर्नीचर मार्ट संचालित हो रहा है।