इंदौर। सड़कों और ब्रिजों के निर्माण में कितना घटिया निर्माण होता है। इसका खुलासा इंदौर के राऊ सिक्सलेन ब्रिज ने कर दिया। ब्रिज सात माह पहले बनकर ट्रैफिक के लिए खोला गया। अभी इंदौर में ठीक से बारिश भी नहीं हुई, लेकिन ब्रिज पर जगह-जगह गड्ढे हो गए। अब अफसर अपना भ्रष्टाचार छुपाने के लिए बार-बार पेचवर्क कर रहे है।
एनएचएआई राऊ से देवास नाका तक छह लेन बायपास निर्माण के बदले टोल टैक्स लेता है, लेकिन बदले में वाहन चालकों को सुुविधा नहीं मिल रही है। टोल चुकाने के बावजूद कभी निर्माण के कारण घंटो तक जाम में फंसना पड़ रहा है तो कभी जहां ब्रिज बन चुके है। वहां घटिया निर्माण ने वाहनों की रफ्तार धीमी कर दी है। अफसरों ने जो पेचवर्क किया था, वह भी उखड़ गया। ब्रिज के निर्माण पर 40 करोड़़ रुपये खर्च हुए है। सर्विस रोड भी खराब हो चुकी है।
सात माह पहले फूटा था लोकार्पण का नारियल
जिस राऊ सर्कल पर यह ब्रिज बना है। वह इंदौर का सबसे बड़ा ब्लैक स्पाॅट था। ब्रिज बनने से पहले वहां सालभर में आठ लोगों की सड़क हादसे में मौत हो गई थी। ब्रिज डेढ़ वर्ष की देरी के बाद जैसे-तैसे बनकर तैयार हुआ। अफसरों ने दावा किया था कि यह प्रदेश का पहले ब्रिज है जो हाईवे पर सिंगल पिलर पर बना है। यहां से रोज एक लाख वाहन गुजरते है। ब्रिज का लोकार्पण पिछले साल 21 दिसंबर को सांसद शंकर लालवानी ने किया था।
ब्रिज की लंबाई एक किलोमीटर है,जबकि 30 मीटर चौड़ाई ब्रिज की है। इस मामले में सांसद लालवानी ने कहा है कि सात माह में ब्रिज पर गड्ढे होने की शिकायत उन्हें मिली है। इस मामले में नेशनल हाईवे अथाॅरिटी को पत्र लिखा है। उन्होंने निर्माण की जांच कराने की मांग भी की है। अफसरों का कहना है कि ब्रिज का गारंटी पीरियड खत्म नहीं हुआ है। ठेकेदार से ब्रिज की मरम्मत कराई जाएगी।