मॉस्को। रूस के पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एसयू-57 को पश्चिमी देशों के जानकार कबाड़ बताते रहे हैं। कई जानकार उसकी तुलना अमेरिका के पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एफ-35 से करते रहे हैं। हालांकि ये तुलना बनती नहीं है, क्योंकि दोनों लड़ाकू विमानों को अलग अलग मकसदों के साथ डिजाइन किया गया है। एफ-35 को अमेरिका ने हमला करने वाला लड़ाकू विमान बनाया है। जबकि एसयू-57 को डिफेंस के लिए बना है। लेकिन एसयू-57 ने हाल ही में अमेरिका के एक और पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एफ-22 को पछाड़ दिया है। अमेरिका का एफ-22 रैप्टर और रूस का एसयू-57 फेलॉन, दोनों पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान हैं।
एसयू-57 को पश्चिमी देशों के रक्षा जानकार ने हमेशा कम करके आंका है। बीते दिनों जब चर्चा चल रही थी कि भारत को एसयू-57 खरीदना चाहिए अमेरिकी एफ-35 खरीदना चाहिए, इस दौरान पश्चिमी देशों के जानकार ने रूसी विमान की काफी बुराई की थी। लेकिन अब पता चला है कि कई सेक्टर में रूसी विमान ने अमेरिकी एफ-22 को पछाड़ दिया है। विश्लेषण बताता हैं कि मैसिव ऑफेंसिव ऑपरेशन, यानि बड़े पैमाने पर हमला करने की जो क्षमता रूसी लड़ाकू विमानों में है, वहा ताकत अमेरिका के एफ-22 रैप्टर में नहीं है।
अमेरिका ने 1980 के दशक में तत्कालीन सोवियत संघ के एमआईजी-29 और एसयू-27 जैसे लड़ाकू विमानों से मुकाबला करने के लिए एफ-22 लड़ाकू विमान की नींव रखी थी। लॉकहीड मार्टिन ने साल 2005 में एफ-22 बनाकर अमेरिकी वायुसेना को सौंपा था। इस लड़ाकू विमान को बनाने का मकसद हवा में वर्चस्व स्थापित करने के साथ दुश्मनों के रडार को चकमा देना, सटीक हमला करना और नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर को अंजाम देना था। जबकि रूस ने साल 2002 में एसयू-57 बनाने का प्रोजेक्ट शुरू किया था। एसयू-57 प्रोग्राम के तहत रूस को एक ऐसा विमान बनाना था, जिसमें स्टील्थ क्षमता होने के साथ साथ भारी मात्रा में हथियार लेकर एक जगह से दूसरे जगह जाना हो। इसके अलावा विमान से यूएवी से जैसे सहयोगी प्लेटफॉर्म को भी ऑपरेट किया जा सके।
लेकिन इस कमजोरी को कम करने के लिए रूस ने इंफ्रारेड सिग्नेचर में कमी की, इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग और मल्टी-स्पेक्ट्रल कन्फ्यूजन जैसे अन्य टेक्नोलॉजी को शामिल किया। इसके अलावा एफ-22 बिना आफ्टरबर्नर के मैंक1.82 की स्पीड तक पहुंच सकता है, जिससे ईंधन की बचत होती है और रेंज बढ़ती है। लेकिन आक्रामक क्षमता और हथियार लोड के मामले में रूसी विमान का कोई मुकाबला नहीं है।
एसयू-57 लड़ाकू विमान में छह इंटरनल हार्डपॉइंट्स हैं, जो आठ मिसाइल या बम ले जा सकते हैं। इसके अलावा इसमें छह एक्सटर्नल हार्डपॉइंट्स भी उपलब्ध हैं, जिससे इसकी टोटल फायरपावर काफी ज्यादा हो जाती है। हालांकि इससे स्टील्थ क्षमता पर असर पड़ता है, लेकिन बड़े पैमाने पर हमले की स्थिति में यह एक रणनीतिक लाभ बनता है। एसयू-57 के पास आर-77 एम जैसे एयर-टू-एयर मिसाइल हैं जो करीब 190 किमी दूर के लक्ष्य को भेद सकते हैं। एसयू-57 का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसमें यूएवी और ड्रोन ऑपरेशन्स के साथ इंटीग्रेशन किया जा सकता है। और स्वार्म ऑपरेशन में भी इसके पास काफी ज्यादा ऑपरेशनल शक्ति है। जबकि एफ-22 की एक बड़ी कमजोरी यह है कि उसका सॉफ्टवेयर आर्किटेक्चर बंद है, यानि इसमें नई टेक्नोलॉजी को शामिल करना अत्यंत मुश्किल और काफी ज्यादा खर्चीला होता है। जबकि एसयू-57 का डिजाइन ज्यादा फ्लेक्सिबल और अपग्रेडेबल है, जिससे भविष्य में उसे मॉडर्न टेक्नोलॉजी जैसे एआई ड्रिवन मिशन कंप्यूटर या हाइपरसोनिक हथियारों से जोड़ा जा सकता है।
साबित हो गया…कई मामलों में पुतिन का एसयू-57, ट्रंप के एफ-22 से ज्यादा ताकतवर
