जबलपुर हाईकोर्ट में प्रमोशन आरक्षण पर सुनवाई, सरकारी आंकड़ों पर सवाल

जबलपुर: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में प्रमोशन में आरक्षण (Promotion in Reservation) के विवाद पर सोमवार को हाईकोर्ट (High Court) में अहम सुनवाई हुई. राज्य सरकार (State Goverment) ने इस दौरान कर्मचारियों (Employees) से जुड़े आंकड़े सीलबंद लिफाफे में पेश किए. कोर्ट ने पाया कि कुछ विभागों में आरक्षित वर्ग के कर्मचारी पहले से अधिक हैं. इस पर कोर्ट ने सरकार के जवाब और नीति दोनों पर असंतोष जताया. हाईकोर्ट ने सरकार से स्पष्ट स्पष्टीकरण मांगा कि प्रमोशन पॉलिसी में संतुलन कैसे सुनिश्चित होगा. कोर्ट ने कहा कि आंकड़े पारदर्शी तरीके से पेश किए जाएं. अब इस मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी.

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि क्या ये आंकड़े “क्वांटिफाएबल डेटा” (Quantifiable Data) के तौर पर प्रमाणिक और विभागवार पूर्ण हैं. अदालत ने यह भी देखा कि कुछ विभागों में पहले से ही आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों की संख्या सामान्य वर्ग से अधिक है. इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार के जवाब पर असंतोष जताया. मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कहा कि सरकार की जवाबी रिपोर्ट अधूरी है. कई विभागों के आंकड़े स्पष्ट नहीं हैं. कोर्ट ने सवाल किया कि यदि कुछ विभागों में आरक्षित वर्ग पहले से ही पदों पर पर्याप्त है, तो वहां और प्रमोशन की आवश्यकता क्यों है. अदालत ने कहा कि सरकार को प्रमोशन नीति को लेकर ठोस और संतुलित डेटा देना होगा.