भोपाल: मध्य प्रदेश के रहवासियों के लिए अच्छी खबर है. अब प्रदेश के पर्यटकों को शिकारे का आनंद लेने के लिए श्रीनगर जाने की जरूरत नहीं होगी. भोपाल की बड़ी झील में भी गुरुवार से डल झील की तरह शिकारों का संचालन शुरू हो गया. सुबह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर समेत अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ पहले चरण में 20 शिकारों के संचालन को हरी झंडी दिखाई. इन शिकारों में क्या सुविधाएं मिलेंगी और इसका किराया कितना होगा, जाने सब कुछ.
सीएम ने शिकारे में की हैंडीक्राफ्ट आइटम्स की खरीदारी
सीएम डॉ. यादव ने कहा कि आज हम सब मिलकर डल झील की तर्ज पर भोपाल झील में वाटर स्पोर्टस एक्टिविटी शुरू कर रहे हैं. सीएम ने कहा कि हमें पता है कि कश्मीर में शिकारे की वजह से लोगों में पर्यटन की जिज्ञासा भी जगी है और आनंद भी आता है. सीएम ने कहा कि भोपाल की बड़ी झील में पूरे वर्ष पानी रहता है. भोपाल देश के मध्य में है, ऐसे में यहां पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है.
बता दें कि सीएम ने शिकारे में सवार होकर बड़े तालाब में चल रहे शिकारों में चल रही दुकानों से हैंडीक्राफ्ट आइटम्स की खरीदारी भी की. सीएम ने इस दौरान जैकेट और साड़ी खरीदी, इसका उन्होंने खुद पेमेंट भी किया.
शिकारों का आधुनिक तकनीक से किया गया निर्माण
बता दें कि बड़ी झील में शिकारे का शुभारंभ करने का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में जल-पर्यटन (वॉटर टूरिज्म) को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाना है. इन सभी 20 शिकारों का निर्माण प्रदूषण रहित आधुनिक तकनीक से किया गया है. इन शिकारों का निर्माण फाइबर रीइन्फोर्स्ड पॉलीयूरिथेन और उच्च गुणवत्ता वाली नॉन-रिएक्टिव सामग्री से हुआ है, जो जल के साथ किसी भी प्रकार की रासायनिक क्रिया नहीं करती. इससे बड़े तालाब की पारिस्थितिकी और जल की शुद्धता पूर्णतः सुरक्षित रहेगी. ये शिकारे अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्था द्वारा निर्मित किए गए हैं, जिनके द्वारा निर्मित शिकारे पूर्व में केरल, बंगाल और असम में भी पर्यटकों द्वारा अत्यंत पसंद किए जा रहे हैं.
शिकारे में बर्ड वाचिंग के साथ ये सुविधाएं भी
इन शिकारा बोट्स राइड के दौरान पर्यटक बर्ड वाचिंग भी कर सकेंगे. इसके लिए शिकारे में दूरबीन की व्यवस्था भी की गई है. साथ ही पर्यटक अन्य शिकारों में उपलब्ध ऑर्गेनिक वेजिटेबल्स और फ्रूटस और मध्य प्रदेश में निर्मित हस्तशिल्प के उत्पाद भी खरीद सकेंगे. वहीं राइड के दौरान पर्यटक स्थानीय व्यंजन का लुत्फ़ भी ले सकेंगे. यानि अब श्रीनगर के डल झील की तरह भोपाल में शिकारे का आनंद तो मिलेगा ही, साथ ही यहां भी आप शिकारे में बैठकर पानी के अंदर ही खरीदारी कर सकेंगे.
2.40 लाख रुपये बनकर तैयार हुआ एक शिकारा
नगर निगम ने पिछले साल स्थानीय रजिस्टर्ड मछुआरे से एक शिकारा तैयार कराया था. नाव को शिकारे की तर्ज पर सजाया गया था और इसे 13 जून 2024 को बड़े तालाब में उतारा गया था. इस प्रयोग के बाद अब 20 शिकारे एक साथ बड़े तालाब में उतारे गए हैं. शिकारे सुबह 7 से शाम 7 बजे तक चलाए जाएंगे. 20 मिनट के लिए प्रति व्यक्ति किराया करीब 150 रुपए होगा. वहीं, यह 2.3 किलोमीटर का राउंड लगाएगा. ऐसे में यह बीच में स्थित टापू के करीब भी पहुंचेगा. वहीं 4 लोगों के लिए 300 रुपये और 6 लोगों के लिए 450 रुपये का किराया चुकाना होगा. इस एक शिकारे को बनाने में करीब 2.40 लाख रुपये का खर्च आया है.
एनजीटी ने मोटर बोट पर लगाई थी रोक
करीब दो साल पहले भोज वेटलैंड, बड़ा तालाब, नर्मदा समेत प्रदेश के किसी भी वाटर बॉडीज में क्रूज और मोटर बोट के संचालन पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एनजीटी) ने रोक लगा दी थी. एनजीटी ने इसे अवैध गतिविधि ठहराते हुए बड़ा तालाब में क्रूज का संचालन बंद करने के आदेश दिए थे.
आदेश में कहा गया था कि डीजल और डीजल इंजन से निकलने वाले उत्सर्जन इंसानों समेत जलीय जीवों के लिए खतरा है. क्योंकि इससे उत्सर्जित सल्फर और नाइट्रोजन ऑक्साइड पानी को एसिडिक बना देते हैं. यह इंसानों और जलीय जीवों दोनों के लिए कैंसरकारी है. भोज वेटलैंड के लिए जारी यह आदेश नर्मदा नदी समेत प्रदेश के सभी प्रकार के वेटलैंड पर लागू हो गया था.
हरियाण विधानसभा के अध्यक्ष भी हुए शामिल
विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज का यह कार्यक्रम पर्यटन की दृष्टि से बहुत एतिहासिक है. इससे पर्यटन के अवसर बढ़ेंगे. ज्यादा से ज्यादा संख्या में पर्यटक आएंगे और इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी उपलब्ध होगा. इस अच्छी पहल से लोग कश्मीर का आनंद भोपाल में उठा सकेंगे. इस दौरान सीएम और विधानसभा अध्यक्ष के साथ नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष हरविंदर कल्याण, नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, मंत्री धर्मेन्द्र सिंह लोधी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व विधायक हेमंत खण्डेलवाल समेत अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे.
