रतलाम में बंदर वाला कर्फ्यू! दहशत में लोग, स्कूलों में अघोषित छुट्टी

रतलाम : आपने कर्फ्यू लगने की खबरें सुनी होंगी पर रतलाम के एक गांव में बंदर कर्फ्यू का कारण बन गया. सुनने में अजीब लगे पर ये सच है. यह कर्फ्यू किसी उपद्रव या आपात स्थिति के लिए नहीं लगा बल्कि एक बंदर की वजह से लगा है. यह कर्फ्यू वाला गांव है आलोट तहसील का हिंगड़ी, जहां बंदर का ऐसा है आतंक है कि अब घर से बाहर निकलने में भी पूरा गांव डर रह है.

15 दिनों से बंदर का अतंक, वन विभाग भी परेशान

बीते 15 दिनों में इस बंदर ने हमला कर अबतक 13 लोगों को घायल किया है. वहीं, इस बंदर के आगे वन विभाग की टीम भी पस्त हो गई है. बंदर को पकड़ने के लिए लगाए गए पिंजरे से वह अब तक पकड़ा नहीं जा सका है, जिससे हर कोई परेशान है.

बुजुर्ग महिला को काटा, फिर लगातार कर रहा हमला

दरअसल, इस गांव में बंदर के आतंक की शुरुआत करीब 15 दिन पहले हुई, जब गांव की एक बुजुर्ग महिला पर बंदर ने हमला कर दिया था. गांव वालों को लगा कि बंदर को खतरा महसूस होने की वजह से उसने बुजुर्ग महिला को काट लिया होगा. लेकिन बंदर ने शासकीय स्कूल परिसर में स्थित पेड़ों पर ही अपना डेरा जमा लिया और 15 दिनों में 13 लोगों पर हमला कर उन्हें बुरी तरह घायल कर दिया है.

ग्रामीणों द्वारा संभावना जताई जा रही है कि यह बंदर अपने झुंड से अलग हो गया है और पागल हो गया है. बंदर के शिकार हुए लोगों में अधिकांश बुजुर्ग और महिलाएं हैं.

बंदर के आतंक से लगा कर्फ्यू और स्कूल में छुट्टी

बंदर के लगातार हो रहे हम लोग से ग्रामीण खौफ में है. गांव के मुकेश धाकड़ ने बताया, '' वह खासकर बुजुर्गों और बच्चों पर हमला कर रहा है. वह अचानक से कहीं भी आ जाता है और हमला कर भाग जाता है. गांव के कुछ लोगों को तो उसने इतनी बुरी तरह काटा है कि कई लोगों को टांके तक लगवाने पड़े हैं.'' वहीं, बंदर के काटने से रेबीज़ होने का खतरा बना है. गांव के लोग इतने डरे हुए हैं कि लोगों ने घर से बाहर निकलना बंद कर दिया है और कर्फ्यू जैसा माहौल बन गया है.

जो लोग काम के लिए बाहर निकलते हैं वह भी लाठी और हथियार साथ लेकर ही बाहर आते हैं. स्कूल में पदस्थ शिक्षक स्कूल तो आते हैं लेकिन बच्चे स्कूल से नदारद हैं. क्योंकि बंदर ने स्कूल परिसर में स्थित पेड़ों पर ही अपना ठिकाना बनाया है. जिसकी वजह से लोग अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं.

क्यों हमला कर रहा बंदर?

आमतौर पर बंदर इंसानों पर हमला नहीं करते हैं. लेकिन छेड़े जाने या पागल हो जाने पर बंदर इंसानों पर हमला करते हैं. पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. एनसी पुरोहित ने बताया'' बंदर को रेबीज होने की स्थिति में वह आक्रामक हो सकता है. इसे पागल होना भी कहा जाता है. रेबीज होने की स्थिति में बंदर अशांत हो जाता है और घबराहट में उछल कूद करना और लोगों पर हमला करना, नोंचना शुरु कर देता है.''

बंदर ने काटा तो क्या करें
रतलाम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर संजय दुबे ने बताया, '' डॉग बाइटिंग, मंकी बाइटिंग या किसी अन्य जंगली जानवर के काटे जाने पर रेबीज यानी हाइड्रोफोबिया का संक्रमण हो सकता है. इसके लिए अनिवार्य रूप से रेबीज वैक्सीन लेने के साथ ही टिटनेस और एंटीबायोटिक लेना होता है. यदि किसी को बंदर ने काटा है तो सबसे पहले नल के तेज बहते पानी में घाव को तीन से चार मिनट तक धोएं. इसके बाद डेटॉल या मेडिकल स्प्रिट से भी घाव को अच्छी तरह साफ करें. नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचकर प्राथमिक चिकित्सा करवाएं. काटे जाने के 24 घंटे के भीतर जल्द से जल्द रेबीज का पहला टीका लगवाएं. इसके बाद शेड्यूल अनुसार रेबीज वैक्सीन के बचे हुए डोज भी लगवाएं.''