नई दिल्ली: आईपीएल 2026 मिनी ऑक्शन नजदीक है और इसी के साथ शुरू हो गई है 'ट्रेड विंडो' की हलचल। इस बार सुर्खियों में हैं राजस्थान रॉयल्स के कप्तान संजू सैमसन और चेन्नई सुपर किंग्स के रवींद्र जडेजा, जिनके संभावित ट्रेड की खबरों ने क्रिकेट जगत को हिला दिया है। आईपीएल नीलामी अक्सर चर्चा में रहती है, लेकिन इस बार सबसे बड़ा सवाल यह है कि आईपीएल में ट्रेड प्रक्रिया कैसे होती है? खिलाड़ी बदलने के नियम क्या हैं और किन शर्तों पर यह सौदे तय होते हैं? आइए जानते हैं…
क्या होता है आईपीएल में प्लेयर ट्रेड?
ट्रेड यानी किसी खिलाड़ी का बिना दोबारा नीलामी में जाए एक टीम से दूसरी टीम में जाना। यह दो तरीकों से होता है-
- खिलाड़ियों की अदला-बदली और इसे प्लेयर स्वैप भी कहते हैं।
- पैसे के बदले खरीद-फरोख्त और इसे कैश डील भी कहते हैं।
उदाहरण के लिए, अगर चेन्नई सुपर किंग्स किसी खिलाड़ी को राजस्थान रॉयल्स को देती है और बदले में कोई दूसरा खिलाड़ी या रकम लेती है, तो यह ट्रेड कहलाता है। इस प्रक्रिया में खिलाड़ी को नीलामी टेबल पर वापस नहीं आना पड़ता।
ट्रेड विंडो कब खुलती है?
आमतौर पर हर सीजन खत्म होने के लगभग एक महीने बाद ट्रेड विंडो खुलती है। यह अगले ऑक्शन से एक हफ्ते पहले तक चालू रहती है। नीलामी के बाद यह फिर से खुलती है और टूर्नामेंट शुरू होने से करीब एक महीने पहले तक सक्रिय रहती है। यानी टीमों के पास काफी समय होता है अपनी रणनीति के हिसाब से खिलाड़ियों की अदला-बदली करने का।
कैसे तय होता है सौदे का मूल्य?
एकतरफा ट्रेड, जिसे वन-वे ट्रेड भी कहते हैं, उसमें खिलाड़ी खरीदने वाली टीम वही रकम चुकाती है, जिस पर वह पिछली बार नीलाम हुआ था। अगर यह अदला-बदली (स्वैप) वाला सौदा है, तो दोनों टीमें खिलाड़ियों की कीमत का अंतर मिलाकर सौदा तय करती हैं।
उदाहरण के लिए,
- जब हार्दिक पांड्या ने 2024 में गुजरात टाइटंस छोड़कर मुंबई इंडियंस में वापसी की, तो मुंबई ने गुजरात को उनका मूल ऑक्शन मूल्य और अतिरिक्त ट्रांसफर फीस दी थी।
- इसी तरह, लखनऊ सुपर जायंट्स और राजस्थान रॉयल्स ने आवेश खान और देवदत्त पडिक्कल का टू-वे ट्रेड किया था, जिसमें लखनऊ ने 2.25 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि भी दी थी।
- इसी तरह 2021 में जब सीएसके ने रॉबिन उथप्पा को राजस्थान से ट्रेड किया था, तो वह ऑल कैश डील था। यानी सीएसके ने राजस्थान को बदले में कोई खिलाड़ी देने की बजाय राशि दी थी।
खिलाड़ी की मंजूरी क्यों जरूरी होती है?
आईपीएल ट्रेड का सबसे अहम नियम है- खिलाड़ी की लिखित सहमति। बिना उसकी अनुमति के कोई भी ट्रेड नहीं हो सकता। यह पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है, ताकि कोई खिलाड़ी किसी टीम में जबरदस्ती ट्रांसफर न हो। एक बार खिलाड़ी की मंजूरी मिल जाने के बाद दोनों फ्रेंचाइजी के बीच सौदे की बातचीत शुरू होती है। चाहे वह कैश डील हो या स्वैप।
गुजरात टाइटंस के डायरेक्टर विक्रम सोलंकी ने भी माना था कि हार्दिक पांड्या खुद मुंबई लौटना चाहते थे, इसलिए यह डील संभव हुई। इसी तरह, संजू सैमसन के बारे में भी रिपोर्ट्स कह रही हैं कि उन्होंने खुद नई चुनौती के लिए इच्छा जताई, जिसके बाद सीएसके और आरआर के बीच बातचीत शुरू हुई। वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जा रहा है कि जडेजा इस डील के लिए तैयार नहीं हैं और ऐसे में सीएसके के लिए सैमसन को लाने में मुश्किलें बनी हुई हैं।
ट्रेड सिस्टम क्यों बना गेम चेंजर
हर साल नीलामी की चर्चा जरूर होती है, लेकिन असली रणनीतिक खेल तो ट्रेड विंडो में चलता है। यहीं पर टीमों की कोर स्ट्रक्चर तय होती है, यानी कि कौन जाएगा, कौन रहेगा, और किसे किस कीमत पर लाना है। 2026 में यह और दिलचस्प हो गया है क्योंकि कई बड़े नाम जैसे सैमसन, जडेजा, रोहित शर्मा, ट्रेविस हेड, सैम करन और मथीशा पथिराना तक ट्रेड रडार पर हैं। अगर इन खिलाड़ियों के सौदे पक्के होते हैं, तो आने वाला सीजन आईपीएल इतिहास का सबसे रोमांचक सीजन साबित हो सकता है।
ट्रेड विंडो से बदल सकता है टीमों का समीकरण
आईपीएल 2026 में ट्रेड विंडो ने पहले ही ऑक्शन से ज्यादा सुर्खियां बटोर ली हैं। फैंस के बीच सस्पेंस बना हुआ है कि क्या सैमसन वाकई चेन्नई जाएंगे? या फिर क्या जडेजा नई टीम की जर्सी में दिखेंगे? एक बात तो तय है, इस बार आईपीएल में सिर्फ पैसों की नहीं, दिमाग और रणनीति की भी असली बाजी चल रही है। अगले साल मेगा ऑक्शन होना है और उससे पहले टीम अपना कोर तैयार करना चाहती है, ताकि उसे अगले ऑक्शन में बरकरार रखा जा सका। और यही चीज इस लीग को दुनिया की सबसे रोमांचक क्रिकेट लीग बनाती है।
