इंदौर। इंदौर इस बार फिर स्वच्छता में 4 हजार 900 शहरों को पछाड़ कर शीर्ष पर है। सफाई के नवाचारों को तो इंदौर कर रही रहा है, लेकिन शहर की सबसे बड़ी ताकत घर-घर कचरा संग्रहण व्यवस्था है। स्वच्छता रैंकिंग में शामिल होने वाले शहर इस व्यवस्था को बरकरार नहीं रख पा रहे है,जबकि इंदौर की स्कोरिंग इसमें ही सबसे ज्यादा होती है। पिछले साल इंदौर के साथ पहली रैंकिंग साझा करने वाले सूरत शहर को भी कचरा संग्रहण व्यवस्था को मजबूत करने के लिए काफी समय लगा, लेकिन लगातार दूसरे साल व्यवस्था कायम नहीं रह पाई। इंदौर को जब स्वच्छता रैंकिंग में दूसरी बार पहले स्थान पर आया था, तभी डोर टू डोर कचरा कलेक्शन व्यवस्था को इतना मजबूत कर लिया था कि सड़कों पर कचरा दिखाई देना बंद हो गया था।
24 वार्डों से शुरू किया था प्रयोग
सात साल पहले इंदौर में घर-घर कचरा संग्रहण का प्रयोग 24 वार्डों से शुरू किया गया था। रहवासी संघों को स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से समझाया गया कि कचरा सड़क पर या बैकलेन में न फेंके। इसे हर सुबह आने वाली गाड़ी को दे। इसके अच्छे नतीजे आए। इसके बाद कचरा संग्रहण गाडि़यां खरीदी गई और इंदौर के 85 वार्डों में यह व्यवस्था लागू कर दी गई। खास बात यह है कि इसे निजी हाथों में नहीं सौंपा गया, बल्कि नगर निगम का अमला ही इसे संचालित करता है।
इंदौर में नहीं है कचरा पेटियां
ज्यादातर शहरों में कचरा पेटियों के आसपास ही कचरा फैला दिखाई देता है। जगह-जगह कचरा पाइंट बनाए जाते है, लेकिन इंदौर में एक भी कचरा पेटी नहीं है। जिन जिन वार्डों में पहले डोर टू डोर कचरा संग्रहण व्यवस्था लागू की गई। वहां से कचरा पेटियां हटा दी गई। इंदौर के लोग दिनभर कचरा घरों में संभाल कर रखते है और उसे सुबह कचरा लेने वाले वाहनों को देते है।
शहरवासियों की भागीदारी से संभव
मेयर पुष्य मित्र भार्गव का कहना है कि डोर टू डोर कचरा व्यवस्था का इंदौर में शत-प्रतिशत लागू होने शहरवासियों के कारण ही संभव हुआ। यह सिस्टम इंदौर में काफी मजबूत है और यही हमारी ताकत भी है। अब एप के माध्यम से भी कचरा गाडि़यां बुलाने की व्यवस्था नगर निगम ने की है।