रायपुर : भारत के राष्ट्रीय गीत ‘‘वंदे मातरम‘‘ के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में शुक्रवार को पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग परिसर में प्रातः 10 बजे भव्य आयोजन हुआ। इस अवसर पर विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक ‘वंदे मातरम’ का सामूहिक गायन किया और देशभक्ति के स्वर से वातावरण गुंजायमान हो उठा।
कार्यक्रम में डिप्टी डायरेक्टर प्रतापचंद पारेख, आर्कियोलॉजिस्ट प्रभात कुमार सिंह, पब्लिकेशन ऑफिसर दीप्ती गोस्वामी, चीफ केमिस्ट एफ. एस. तिर्की सहित विभाग के अनेक अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।
डिप्टी डायरेक्टर प्रतापचंद पारेख ने अपने उद्बोधन में कहा, “वंदे मातरम केवल गीत नहीं, बल्कि भारतीय आत्मा और अस्मिता का प्रतीक है। इस गीत ने स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में अनगिनत क्रांतिकारियों के मन में देशभक्ति की ज्योति प्रज्वलित की थी। आज इसके 150 वर्ष पूरे होने का अवसर हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर और राष्ट्रीय एकता की भावना को और प्रगाढ़ करने का संदेश देता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि पुरातत्व विभाग की जिम्मेदारी केवल धरोहरों के संरक्षण तक सीमित नहीं, बल्कि उन भावनाओं को भी जीवित रखना है जिन्होंने राष्ट्र के निर्माण में योगदान दिया है।
कार्यक्रम के अंत में ‘वंदे मातरम’ के इतिहास और इसकी रचना प्रक्रिया पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी गई। सभी उपस्थित अधिकारियों ने संकल्प लिया कि राष्ट्रभक्ति और सांस्कृतिक गौरव की यह भावना आने वाली पीढ़ियों तक निरंतर प्रवाहित होती रहे।
