रायपुर: राज्य में साइबर ठगी गंभीर समस्या बन गई है। बुधवार को मानसून सत्र के तीसरे दिन साइबर अपराध के मामलों पर विधानसभा में सत्ता पक्ष के विधायकों ने अपनी ही सरकार को घेर लिया।
प्रश्नकाल के दौरान सामने आया कि पिछले डेढ़ साल में राज्य में 107 करोड़ रुपये की साइबर ठगी हुई है, जबकि पीड़ितों को अब तक केवल 3.69 करोड़ रुपये की राशि ही लौटाई जा सकी है। इस मामले में बैंक कर्मचारियों की भूमिका भी उजागर हुई है।
उपमुख्यमंत्री व गृहमंत्री विजय शर्मा ने सदन में बताया कि जनवरी 2024 से जून 2025 के बीच राज्य में साइबर अपराध के 1,304 प्रकरण दर्ज किए गए हैं, जिनमें 147 मामले राजधानी रायपुर से जुड़े हैं। इस दौरान जांच में सामने आया है कि साइबर ठगी के कई प्रकरणों में बैंकों के कर्मचारी भी संलिप्त पाए गए हैं।
रायपुर जिले में एक प्रकरण में उत्कर्ष स्माल फाइनेंस बैंक के चार कर्मचारी आरोपी हैं।
दुर्ग में बंधन बैंक से जुड़े एक आरोपी के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है।
बिलासपुर में कोटक महिंद्रा बैंक के दो कर्मचारियों को आरोपित बनाया है। 7 आरोपियों को जेल भेजा गया है।
गृहमंत्री ने बताया कि साइबर ठगी से वसूली गई राशि की वापसी न्यायालयीन प्रक्रिया के अंतर्गत होती है। 277 करोड़ रुपये की लागत से बने राज्यस्तरीय साइबर भवन का उद्घाटन दिसंबर 2024 में मुख्यमंत्री द्वारा किया गया। इस भवन को पूरे प्रदेश के लिए साइबर थाना के रूप में विकसित किया गया है।
साथ ही उन्होंने बताया कि प्रत्येक जिले में साइबर थाना व साइबर सेल स्थापित करने का काम जारी है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित टूल्स भी विकसित किए जा रहे हैं।
प्रदेश में साइबर ठगी के आंकड़े भयानक
प्रश्न काल के दौरान भाजपा विधायक सुनील सोनी ने प्रश्न उठाते हुए कहा कि राज्य में साइबर अपराध बेकाबू होता जा रहा है। उन्होंने कहा 2020 में 2,295 साइबर अपराध के मामले दर्ज हुए, 2021 में 7,134, 2022 में 12,295, और 2023 में 22,296 मामले सामने आए। जबकि 2024 में सरकार द्वारा 1,301 मामलों की जानकारी दी गई है, पर एआइ आधारित आंकड़ों के अनुसार 17,693 मामले बताए गए हैं।
भाजपा विधायकों ने उठाया सवाल
प्रदेश में ठगी के मामलों में करोड़ों की धोखाधड़ी होने के बावजूद साइबर थाना प्रदेशभर में सीमित है और बहुत कम लोगों को इसकी जानकारी है। भाजपा के विधायक राजेश मूणत ने कहा कि 107 करोड़ की ठगी में से महज तीन करोड़ रुपये ही पीड़ितों को लौटाए जा सके हैं। विधायक अजय चंद्राकर ने पूछा कि साइबर अपराध रोकने के लिए कितने कमांडो और विशेषज्ञ नियुक्त किए गए हैं।