गर्भ में पल रहे शिशु के लिए खतरा बन सकती है पैरासिटामोल, शोध में सामने आए चौंकाने वाले नतीजे

नई दिल्ली। गर्भावस्था हर महिला के जीवन का सबसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण दौर माना जाता है। इस दौरान मां का हर कदम, उसकी जीवनशैली, खानपान और यहां तक कि छोटी-सी दवा भी बच्चे के विकास को प्रभावित कर सकती है। आमतौर पर हल्के दर्द या बुखार में लोग बिना सोचे-समझे पैरासिटामोल खा लेते हैं, क्योंकि यह सबसे सुरक्षित और साधारण दवा मानी जाती है, लेकिन हाल ही में सामने आए एक व्यापक शोध ने इस धारणा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

क्या कहता है शोध?

अमेरिका के माउंट सिनाई स्थित इकान स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने एक बड़ा विश्लेषण किया। इसमें अलग-अलग देशों से जुड़े एक लाख से अधिक प्रतिभागियों पर आधारित 46 अध्ययनों की समीक्षा की गई। नतीजे चौंकाने वाले थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि गर्भावस्था के दौरान पैरासिटामोल (जिसे एसिटामिनोफेन भी कहा जाता है) का सेवन करने वाली महिलाओं के बच्चों में ऑटिज्म (Autism Spectrum Disorder) और अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) जैसी तंत्रिका-विकास संबंधी समस्याओं का खतरा अधिक होता है।

पैरासिटामोल का बच्चे पर क्या असर पड़ सकता है?

आमतौर पर पैरासिटामोल को सुरक्षित माना जाता है, लेकिन यह दवा भ्रूण तक पहुंचने में सक्षम है। वैज्ञानिकों ने बताया कि यह दवा प्लेसेंटल बाधा (Placental Barrier) को पार कर सीधे गर्भ में पल रहे शिशु तक पहुंच जाती है।

इसके बाद यह शिशु के विकास में कई तरह के बदलाव ला सकती है:

  • ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ना: यह स्थिति शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है और भ्रूण के अंगों के सामान्य विकास को बाधित कर सकती है।
  • हार्मोनल असंतुलन: पैरासिटामोल हार्मोन की प्राकृतिक गतिविधि को प्रभावित कर सकता है, जो शिशु के मस्तिष्क और प्रजनन प्रणाली के लिए आवश्यक है।
  • एपिजेनेटिक परिवर्तन: यह ऐसे बदलाव हैं जो जीन की कार्यप्रणाली को बदल सकते हैं। इनका सीधा असर शिशु के मस्तिष्क के विकास और सीखने-समझने की क्षमता पर हो सकता है।
  • कुछ अध्ययनों ने संकेत दिए हैं कि गर्भावस्था में पैरासिटामोल का अत्यधिक सेवन बच्चों में प्रजनन और मूत्रजननांगी विकारों का खतरा भी बढ़ा सकता है। इसका मतलब है कि यह केवल मानसिक विकास ही नहीं, बल्कि शारीरिक विकास को भी प्रभावित कर सकता है।

बढ़ते मामले क्यों हैं चिंता का विषय?

आज पूरी दुनिया में ऑटिज्म और एडीएचडी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ये दोनों विकार बच्चों के व्यवहार, ध्यान और सीखने की क्षमता को गहराई से प्रभावित करते हैं।

ऑटिज्म में बच्चा सामाजिक रूप से दूसरों से जुड़ने में कठिनाई महसूस करता है, उसकी भाषा और व्यवहार में असामान्यता दिख सकती है। एडीएचडी से पीड़ित बच्चों को ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत होती है, वे अत्यधिक सक्रिय रहते हैं और उनका व्यवहार नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है। जब ऐसे मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है, तो यह शोध स्वास्थ्य विशेषज्ञों और नीति-निर्माताओं के लिए एक गंभीर संकेत है।

एक्सपर्ट की राय

शोध में शामिल विशेषज्ञ डिडियर प्रादा, जो माउंट सिनाई के इकान स्कूल ऑफ मेडिसिन में पर्यावरण चिकित्सा और स्वास्थ्य नीति से जुड़े हैं, का कहना है कि उच्च गुणवत्ता वाले अध्ययनों ने बार-बार यह दिखाया है कि प्रसवपूर्व (गर्भावस्था के दौरान) एसिटामिनोफेन का संपर्क बच्चों में ऑटिज्म और एडीएचडी के खतरे से जुड़ा हुआ है। यह शोध केवल खतरे की ओर इशारा नहीं करता, बल्कि यह भी बताता है कि हमें गर्भावस्था के दौरान दवाओं के उपयोग पर और अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।

क्या करें गर्भवती महिलाएं?

यह सच है कि गर्भावस्था में कभी-कभी सिरदर्द, बुखार या शरीर में दर्द से राहत के लिए दवा लेना जरूरी हो जाता है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि पैरासिटामोल पूरी तरह से असुरक्षित है। असली सवाल है- इसका सही और सीमित इस्तेमाल।

  • गर्भवती महिला को बिना डॉक्टर की सलाह के दवा नहीं लेनी चाहिए।
  • अगर बुखार या दर्द ज्यादा है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और उसी के निर्देशों पर दवा लेनी चाहिए।
  • घरेलू उपायों और प्राकृतिक तरीकों से छोटे-मोटे लक्षणों को नियंत्रित करने की कोशिश की जा सकती है।