फॉर्म में देरी और तकनीकी खामियों से परेशान लोग, आईटीआर रिटर्न की तारीख बढ़ाने की अपील

व्यापार: आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 15 सितंबर, 2025, अब केवल एक हफ्ते दूर है। इस बीच कई संगठनों ने वित्त मंत्रालय से आईटीआर रिटर्न दाखिल करने की तारीख बढ़ाने की अपील की है। कारण है देरी से फॉर्म जारी किया जाना और फिर इसके बाद रिटर्न फाइल होने होने में बार-बार आ रही परेशानी।

2 सितंबर, 2025 को भीलवाड़ा स्थित टैक्स बार एसोसिएशन ने भी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को पत्र लिखकर समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया। टैक्स बार एसोसिएशन में कर विशेषज्ञ, चार्टर्ड अकाउंटेंट, कंपनी सचिव, अधिवक्ता और सलाहकार शामिल हैं। संगठन ने अपने पत्र में बताया कि कैसे करदाता और पेशेवर इस वर्ष यूटीलिटीज के देरी से जारी होने, आईटीआर पोर्टल पर चल रही तकनीकी समस्याओं और अतिरिक्त अनुपालन चरणों के कारण रिटर्न दाखिल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। टैक्स बार एसोसिएशन ने अनुरोध किया है कि आईटीआर दाखिल करने की समय सीमा बढ़ा दी जाए क्योंकि अब रिटर्न सही ढंग से तैयार करने और दाखिल करने के लिए कम समय बचा है। दूसरी ओर, तकनीकी दिक्कतों के कारण भी लोगों को परेशानी हो रही है। 

आटीआर दाखिल करने में यूजर्स को किस-किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आइए जानते हैं, विस्तार से।

1. यूटिलिटी फॉर्म्स जारी होने में देरी
चंडीगढ़ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स टैक्सेशन एसोसिएशन (सीसीएटीएक्स) और गुजरात चैंबर कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (जीसीसीआई) ने भी ऐसी ही चिंता जताई है और समय सीमा को आगे बढ़ाने की मांग की है। आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई, 2025 थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 15 सितंबर, 2025 कर दिया गया।

चार्टर्ड अकाउंटेंट्स का मानना है कि आम तौर पर करदाताओं के पास अपना रिटर्न तैयार करने और दाखिल करने के लिए लगभग 122 दिन (1 अप्रैल से 31 जुलाई) का समय होता है। लेकिन इस साल, यूटीलिटी फॉर्म्स काफी देर से जारी किए गए, इससे रिटर्न दाखिल करने के समय में कमी आ गई है। दूसरी ओर, आईटीआर दाखिल करने में भी यूजर्स और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को तकनीकी दिक्कतों के कारण परेशानी झेलनी पड़ रही है। इसे देखते हुए इसकी समयसीमा बढ़ाने की मांग जोर पकड़ रही है। 

2. आयकर रिटर्न दाखिल करने में आ रही तकनीकी दिक्कत 
बार एसोसिएशन ने आईटीआर पोर्टल पर आ रही तकनीकी समस्याओं की भी शिकायत की है। उनके अनुसार रिटर्न और ऑडिट रिपोर्ट अपलोड करते समय सिस्टम में बार-बार त्रुटियां आ रही हैं।  फॉर्म 26AS, AIS और TIS में देरी से अपडेट होने के कारण विसंगतियां दिख रही है, जिससे मिलान में अत्यधिक समय लगता है। फाइलिंग के व्यस्त समय के दौरान टाइमआउट होने के कारण भी लोगों को परेशानी हो रही है।

चार्टर्ड अकाउंटेंट शुभम सिंघल के अनुसार, आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 54 (Section 54) करदाताओं को बड़ी राहत प्रदान करती है। इसके तहत यदि कोई व्यक्ति या हिन्दू अविभाजित परिवार (HUF) अपना आवासीय मकान बेचता है और उससे प्राप्त दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (Long Term Capital Gain) को नए आवासीय मकान में निवेश करता है, तो उसे कर से छूट मिल सकती है। यह छूट तभी मिलेगी जब पुराना मकान कम से कम 24 महीने तक स्वामित्व में रहा हो और नया मकान भारत में ही खरीदा या बनाया जाए। कुछ करदाताओं को आईटीआर (ITR) भरते समय इसके तहत छूट क्लेम करने के दौरान त्रुटि की शिकायत हो रही है।

आम तौर पर यह समझा जाता है कि समस्या CGAS की डिटेल न भरने से आ रही है, जबकि सच यह है कि यह त्रुटि अधिकतर CGAS से जुड़ी नहीं होती। समस्या प्रायः फॉर्म के अंतिम टैब में आती है, जहाँ करदाता को पुनः यह बताना होता है कि उसने धारा 54 या धारा 54F के अंतर्गत कितनी छूट का दावा किया है। कई लोग केवल शेड्यूल CG (Capital Gains Schedule) में छूट की राशि भरते हैं, लेकिन अंतिम टैब में इसे दोबारा दर्ज करना भूल जाते हैं। परिणामस्वरूप सिस्टम त्रुटि दिखाता है। इसका समाधान भी उतना ही आसान है। करदाता को अंतिम टैब में जाकर वही छूट की राशि फिर से भरनी चाहिए, जो उसने शेड्यूल CG में दिखाई है। जैसे ही यह आंकड़ा दोबारा डाला जाता है, त्रुटि दूर हो जाती है और रिटर्न बिना किसी समस्या के सबमिट हो जाता है।

3. आईसीएआई के प्रारुप में बदलाव के कारण अधिक समय की जरूरत
वित्त वर्ष 2024-25 से गैर-कॉर्पोरेट संस्थाओं के लिए संशोधित आईसीएआई प्रारूप भीलवाड़ा टैक्स बार एसोसिएशन ने लिखा है कि इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने बैलेंस शीट और लाभ-हानि खाते के लिए एक नया वर्टिकल फॉर्मेट अनिवार्य कर दिया है। तुलनात्मक आंकड़े, संबंधित पक्ष के लेन-देन, आकस्मिक देनदारियों आदि का विस्तृत खुलासा अब अनिवार्य है। इसमें आगे कहा गया है कि संस्थाओं और पेशेवरों को सही तरीके से अपनाने और मिलान के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता है। ऐसे में आईटीआर दाखिल करने की तिथि बढ़ाने की जरूरत है।

4. त्योहारी सीजन से जुड़ी दिक्कतें
आईटीआर दाखिल करने की समयसीमा के बीच ही देश में त्योहारी सीजन भी शुरू हो चुका है। गणेश चतुर्थी, नवरात्रि, दुर्गा पूजा, दशहरा और दिवाली सहित कई प्रमुख भारतीय त्योहारों भी आईटीआर दाखिल करने की समयसीमा के बच ही पड़े हैं या पड़ने वाले हैं। इस अवधि के दौरान छुट्टियों और यात्राओं के कारण कार्यालय और फर्म न्यूनतम कर्मचारियों के साथ काम करते हैं, और ग्राहक समन्वय और लेखा परीक्षक समीक्षा बैठकों में देरी होती है। इससे अनुपालन समय-सीमा और भी कम हो जाती है। इससे पेशेवरों पर भारी दबाव पड़ता है। इस लिए भी विभिन्न टैक्स बार एसोसिएशन और चार्टर्ड अकाउंटेंट आईटीआर की समय अवधिक बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। हालांकि, समय विस्तार पर अंतिम फैसला सरकार को ही लेना है। भीलवाड़ा टैक्स बार एसोसिएशन ने तथ्यों और कठिनाइयों देखते हुए आयकर विभाग से आईटीआर की समयसीमा बढ़ाने की अपील की है।