भाद्रपद की पूर्णिमा से शुरू होने वाला पितृपक्ष यानी श्राद्ध पक्ष अश्विन अमावस्या तक चलता है. इस दौरान कुल 16 श्राद्ध किए जाते हैं, जिनमें 15 श्राद्ध अश्विन कृष्ण पक्ष के होते हैं और एक भाद्रपद पूर्णिमा का. इस बार श्राद्ध 7 सितंबर से शुरू हैं जो 21 सितंबर तक चलेंगे. आपने सुना होगा कि श्राद्ध के इन 16 दिनों में नए वस्त्र या घर में कोई नई वस्तु लाना अशुभ माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं इसके पीछे क्या कारण है. इस खबर में हम सारी बातें डिटेल से जानेंगे, तो चलिए शुरू करते हैं.
कि पितृपक्ष के दिनों में सभी पितरों के लिए श्रद्धा और भक्ति भाव से पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म किया जाता है. जो लोग पितृ दोष से पीड़ित होते हैं, उनके लिए यह समय विशेष महत्व रखता है. अगर इस दौरान नई वस्तुएं खरीदी जाती हैं, तो पितृ नाराज हो सकते हैं और शुभ फल प्राप्त नहीं होता.
नए कपड़े खरीदने पर क्यों है मनाही
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पितृपक्ष के दिनों में नए वस्त्र खरीदना वर्जित है क्योंकि ये वस्त्र सामान्यतः मांगलिक अवसरों के लिए खरीदे जाते हैं, जैसे शादी, पूजा या उत्सव. जबकि पितृपक्ष का उद्देश्य पितरों की आत्मा की शांति और उनके लिए किए जाने वाले कर्मों पर ध्यान देना है. नए वस्त्र या अन्य सामग्री लाने से यह संतुलन बिगड़ सकता है और जीवन में अशांति, दुख और पितृ दोष की समस्या उत्पन्न हो सकती है.
कि इस दौरान घर में मौजूद पुरानी वस्तुएं और पहले से उपयोग की गई चीजें ही सही मानी जाती हैं. पितृपक्ष में कोई नई खरीदारी करना दोष का कारण बनता है और धार्मिक दृष्टि से इसे टालना चाहिए.