अयोध्या: श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के ऐतिहासिक पड़ावों में एक और स्वर्ण अध्याय जुड़ने जा रहा है। भूमिपूजन और प्राण प्रतिष्ठा जैसे युगांतकारी क्षणों के साक्षी रहने के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर की पूर्णता की घोषणा करने अयोध्या आ रहे हैं। यह अवसर केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि राष्ट्र के सांस्कृतिक स्वाभिमान की परिणति के रूप में देखा जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी का अयोध्या से गहरा नाता है। रामलला की नगरी उनके नेतृत्व में न केवल मंदिर निर्माण की गाथा लिख रही है, बल्कि नवीन अयोध्या के पुनर्जागरण की मिसाल भी बन रही है। मोदी प्रधानमंत्री रहते हुए अब तक चार बार अयोध्या आ चुके हैं और यह उनकी पांचवीं यात्रा होगी।
2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 2020 में भूमिपूजन, फिर 2024 में प्राण प्रतिष्ठा समारोह और अब 2025 में पूर्णता की घोषणा, यह क्रम मानो मोदी और अयोध्या के बीच आस्था का संवाद बन गया है। महंत विवेक आचारी कहते हैं कि अब जब प्रधानमंत्री 'पूर्णता' की घोषणा करेंगे तो यह न केवल राम मंदिर के निर्माण का समापन होगा, बल्कि आस्था, विकास और राष्ट्रीय गौरव का शंखनाद भी होगा।
राम दरबार की आरती करेंगे पीएम
अयोध्या। राम मंदिर निर्माण समिति की बैठक में ध्वजारोहण समारोह की रूपरेखा व ध्वज की डिजाइन को अंतिम रूप दे दिया गया है। पीएम नरेंद्र मोदी 25 नवंबर को तीन घंटे अयोध्या में रहेंगे। वह रामलला समेत राम दरबार के दर्शन कर आरती उतारेंगे।
