भोपाल। लापता अर्चना तिवारी को 13 दिनों बाद उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी से खोज लिया गया है। उसे बुधवार को राजधानी भोपाल लाया गया है। इस मामले में एमपी के शुजालपुर के सारांश नाम का शख्स सामने आया है।भोपाल स्थित पुलिस कमिश्नर ऑफिस में आज प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। एसपी रेलवे राहुल लोढ़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की है।
हरदा में बनाई थी प्लानिंग
एसपी ने बताया कि नेपाल बॉर्डर से लड़की को बरामद किया गया है। कटनी से लॉ की पढ़ाई की है, जबलपुर से वकालत की प्रैक्टिस की। इंदौर में रहकर सिविल जज की तैयारी कर रही थी, यहां लड़की की मुलाकात सारांश नाम के शख्स से हुई। 7 अगस्त को ये नर्मदा एक्सप्रेस कटनी जा रही थी, इसी ट्रेन में सारांश भी था. दोनों के बीच बातचीत हुई। उन्होंने आगे बताया कि सारांश, तेजिंदर और अर्चना ने मिलकर हरदा में 6 अगस्त को भागने की पूरी प्लानिंग की थी।
प्लानिंग की मास्टरमाइंड अर्चना है
रेलवे पुलिस अधीक्षक राहुल लोढ़ा ने बताया कि 6 अगस्त को तीनों अर्चना, तेजिंदर और अर्चना ने प्लानिंग बनाई थी। इस पूरी प्लानिंग की मास्टरमाइंड अर्चना तिवारी ही थी, तीनों ने इंदौर-बिलासपुर नर्मदा एक्सप्रेस से भागने की प्लानिंग की थी। उन्होंने आगे बताया कि तेजिंदर गाड़ी चलाने का काम करता है, अर्चना, सारांश के जरिए तेजिंदर से संपर्क में आई थी।
गुमशुदगी की झूठी कहानी रची
अर्चना तिवारी केस में पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इंदौर से महेश्वर जाना हो या और कहीं अर्चना तेजिंदर के साथ उसकी गाड़ी में ही जाती थी। उन्होंने आगे बताया कि सारांश व्हाया रोड इटारसी पहुंची था, अर्चना ने ट्रेन में ही कपड़े बदले थे ताकि उसे कोई पहचान ना सके। वहीं तेजिंदर को मोबाइल और घड़ी दिया था, जानबूझकर ट्रेन की सीट पर सामान छोड़कर गई थी, देखकर ऐसा लगे कि अर्चना लापता हो गई है।