ओंकारेश्वर। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) सरकार द्वारा ओंकारेश्वर (Omkareshwar) में प्रस्तावित ममलेश्वर लोक निर्माण (Mamleshwar Public Works) को लेकर ब्रह्मपुरी क्षेत्र में आक्रोश चरम पर पहुंच चुका है। स्थिति यह है कि स्थानीय लोग अब आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। भाजपा (BJP) नगर अध्यक्ष संतोष वर्मा (Santosh Varma) का स्पष्ट कहना है हम मर जाएंगे, लेकिन यहां से हटेंगे नहीं। आज शाम 4 बजे खंडवा कलेक्टर कार्यालय में सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने प्रभावित नागरिकों के प्रतिनिधिमंडल को विशेष चर्चा के लिए बुलाया है। लोग अपनी ओर से कई वैकल्पिक प्रस्ताव भी सामने रखेंगे ताकि ब्रह्मपुरी को उजाड़ने जैसी स्थिति न बने।
ओंकारेश्वर नगर भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि 1956 में यह जमीन हमारे पूर्वजों के नाम पर थी, जिसे बाद में बंदोबस्त कर शासन ने ‘सरकारी’ घोषित कर दिया। बाद में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत कई परिवारों को इसी क्षेत्र में मकान आवंटित किए गए। यदि ममलेश्वर लोक निर्माण जरूरी है, तो स्थान परिवर्तन ही एकमात्र समाधान है। उन्होंने वैकल्पिक स्थानों के रूप में कई जगहें सुझाईं हैं। जिनके नाम कुछ नाम ये हैं,
- कुबेर भंडारी मंदिर के पास लगभग 20 एकड़ भूमि
- अस्पताल रोड से एनवीडीए के विश्रामगृह तक का विस्तृत क्षेत्र
- सरकारी अस्पताल के सामने नेचुरल गार्डन का ओंकारेश्वर भूमि
- शंकराचार्य जी तिराहे के सामने वन की कई एकड़ जमीन
- अन्य कई स्थान जहां प्राकृतिक ढंग से लोक निर्माण संभव है
- लोगों की ओर से इन प्रस्तावों को सांसद के समक्ष रखा जाएगा
ओंकारेश्वर पंडा संघ के अध्यक्ष पंडित नवल किशोर शर्मा ने कहा कि सिर्फ एक ममलेश्वर लोक निर्माण के लिए सैकड़ों परिवारों को बेघर कर देना न तो न्यायसंगत है, न ही धर्मसंगत है। यदि सरकार सुरक्षा और पर्यटन सुविधाएं बढ़ाना चाहती है तो सड़क चौड़ीकरण पार्किंग निर्माण, सुगम दर्शन व्यवस्था घाटों का विकास जैसे कार्य किए जा सकते हैं। पूरी योजना ही गलत रूप में तैयार की गई है।”
हमारे पूर्वजों ने हमें यहां बसाया हम नहीं हटेंगे।
ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के पश्चिमी हिस्से ब्रह्मपुरी को खाली कर वहां 409 से अधिक:दुकानें मकान होटल धर्मशालाएं तोड़कर “ममलेश्वर लोक” विकसित करने की योजना है। प्रारंभिक बजट 120 करोड़ बताया गया था, जो सूत्रों के अनुसार 150 करोड़ तक पहुंच सकता है।
