मध्य प्रदेश में पंजीयन और LNG पर वैट कम करें, बजट पर विशेषज्ञों के 1 लाख सुझाव

भोपाल: मध्य प्रदेश के आगामी बजट को लेकर सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. आगामी बजट को लेकर सरकार को आमजन से लेकर अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञों ने अपने सुझाव दिए हैं. राज्य सरकार के पास आम लोगों द्वारा 1 लाख से ज्यादा लिखित सुझाव पहुंच चुके हैं. उधर उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने विशेषज्ञों के साथ चर्चा की. विशेषज्ञों ने सरकार को कृषि आधारित एमएसएमई (Micro, Small and Medium Enterprises) को बढ़ाने का सुझाव दिया है. उन्होंने कहा कि, "मध्य प्रदेश में एलएनजी (Liquefied Natural Gas) पर वैट देश में सबसे ज्यादा 14 फीसदी है, इसके कम किया जाना चाहिए. साथ ही पंजीयन शुल्क भी घटना चाहिए.''

एग्रीकल्चर इंडस्ट्री पर सरकार करे फोकस
वर्ष 2026-27 के बजट को तैयार करने के पहले मध्य प्रदेश सरकार आम लोगों और विशेषज्ञों से सलाह ले रही है. विशेषज्ञों से चर्चा के लिए राजधानी भोपाल में संवाद कार्यक्रम किया गया. इसमें अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े विशेषज्ञों को बुलाया गया. कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा विभाग के अधिकारियों के साथ मौजूद रहे. कार्यक्रम में सीआईआई (कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री) मध्य प्रदेश के वाइस चेयरमैन सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने सरकार को कृषि आधारित एमएसएसई बढ़ाने का सुझाव दिया है.

उन्होंने कहा कि, ''इसके लिए अलग-अलग क्षेत्रों में इंडस्ट्रियल शेड, टेस्टिंग लैब्रोरेटरी जैसे कॉमन इंफ्रस्ट्रक्चर तैयार करना चाहिए.'' आरबीआई की उप महाप्रबंधक अलका गर्ग ने कहा कि, ''एग्रीकल्चर में लॉन्ग टर्म लोन को प्रोत्साहित किया जाए. मध्य प्रदेश में दूसरे राज्यों के मुताबिक, इस तरह के लॉग टर्म नहीं बढ़ रहे हैं. प्रदेश में लॉग टर्म लेने वालों की संख्या बहुत कम है.

इसके लिए राज्य सरकार को कृषि आधारित एमएसएमई को बढ़ाने के लिए मार्केट प्लेटफॉर्म, लॉजिस्टिक सपोर्ट, कॉमन फेसीलिटी सेंटर उपलब्ध कराए जाने चाहिए. ऐसे लॉन्ग टर्म लोन से एसेट तैयार होगा. प्रदेश में एग्रीकल्चर लोन के मामले में ज्यादातर लोन क्रॉप लोन ही होते हैं. इस साल सितंबर 2025 तक 1 लाख 18 हजार 493 क्रॉप लोन दिए गए, जो करीबन 63.77 फीसदी हैं. एग्री डेवपलपमेंट के लिए लॉग टर्म लोन बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए.''

 

 

मध्य प्रदेश में टेक्स सबसे ज्यादा, कम करें
सीआईआई मध्य प्रदेश के वाइस चेयरमैन सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने कहा कि, ''सरकार को एफपीओ की कैपिसिटी बिल्डिंग पर ध्यान देना चाहिए. हाईटेक कस्टम हायरिंग सेंटर्स स्थापित किए जाएं. खेती में रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है.'' उन्होंने कहा कि, ''मध्य प्रदेश की ग्रोथ अच्छी दिखाई दे रही है. इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर को बढ़ाने की जरूरत है, इसके साथ एग्रीकल्चर ग्रोथ को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए.

सरकार को सिंगल सोर्स ऑफ डेटा बनाया जाना चाहिए. मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 14 फीसदी एलएनजी पर वैट है, इसको कम किया जाना चाहिए. विभिन्न विभागों को तकनीक के माध्यम से जोड़ा जाए, बिना विभागों को जोड़े सिंगल विंडो सिस्टम ठीक से लागू नहीं हो सकता. 10 से 50 करोड़ के प्रजोक्ट की सब्सिडी को 4 सालों में दी जाए.''

प्रदेश की सहकारी समितियां करें मजबूत
नाबार्ड (National Bank for Agriculture and Rural Development)) के पदाधिकारी सुशील कुमार सिंह ने प्रदेश की पैक्स सोसायटियों को दूसरी गतिविधियों से जोड़ने की सरकार को सलाह दी है. उन्होंने हरियाणा और पंजाब का उदाहरण देते हुए कहा कि, ''पंजाब में पैक्स सोसायटी गोदाम संचालन, जिम, मेडिकल शॉप्स, किराना सामान दुकान जैसी कई गतिविधियां संचालित करती हैं, इससे पैक्स मजबूत होते हैं. मध्य प्रदेश में पैक्स सोसायटी सिर्फ अनाज वितरित करने का काम कर रही हैं. ग्रामीण क्षेत्रों की सहकारी संस्थाएं ज्यादा मजबूत हैं, जबकि दक्षिण के राज्यों की सहकारी समितियां बहुत मजबूत हैं.''