मथुरा: धर्मसम्राट स्वामी करपात्री महाराज के काशी स्थित आश्रम से आए संतों के एक दल ने वृंदावन में सुप्रसिद्ध प्रेमानंद महाराज से मुलाकात की। श्रीराधा हेति केलि कुंज आश्रम में मुलाकात के दौरान संतों ने प्रेमानंद महाराज के सामने अपनी कई जिज्ञासाएं रखीं। जवाब सुनकर सभी संत प्रेमानंद महाराज के कायल हो गए।
संतों ने एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक जिज्ञासा रखी- 'क्या हम कर्म त्याग कर केवल नाम जप करें तो कल्याण प्राप्त हो सकता है?' इस प्रश्न के उत्तर में प्रेमानंद महाराज ने भगवान के नाम की महिमा का बखान किया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि व्यक्ति अपने चित्त (मन) को पूरी तरह भगवान के नाम में लगा दे, तो यही कल्याण का परम मार्ग है। उन्होंने शास्त्रों का उदाहरण देते हुए कहा कि जब भगवान ही सुलभ हो गए, तो फिर दुर्लभ क्या बचा!
जो लोग अपने मार्ग से भटक गए हैं उन्हें…
प्रेमानंद महाराज ने समझाया कि जो लोग अपने मार्ग से भटक गए हैं, उन्हें केवल भगवान का नाम ही संभाल सकता है। उन्होंने ब्राह्मणों का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि कोई ब्राह्मण अपने दिव्य स्वरूप पर एक शराब की बूंद डाल दे या संध्या वंदन न करे, तो उसका ब्रह्मत्व नष्ट हो जाएगा। ऐसी स्थिति में केवल भगवान का नाम ही है जो उसकी रक्षा कर सकता है। प्रेमानंद महाराज ने बल दिया कि नाम जप में पूर्ण विश्वास रखना ही भगवत-प्राप्ति का सरल और सीधा उपाय है।
मलूक पीठ के युवा संतों ने भेंट किया दुपट्टा
काशी की तरह वृंदावन के सुप्रसिद्ध स्थान टाटिया आश्रम और मलूक पीठ से जुड़े युवा संत भी प्रेमानंद महाराज का आशीर्वाद लेने आश्रम पहुंचे। उन्होंने प्रेमानंद महाराज को दुपट्टा और गंगाजल भेंट किया। युवा संतों के साथ प्रेमानंद महाराज का आध्यात्मिक सत्संग बहुत ही प्रेरणादाई था। प्रवचन के दौरान महाराज ने युवा संतों को सावधानी बरतने के लिए कहा।
