कानपुर। ईरान के आसमान में अंगारे उड़ रहे थे। मिसाइलें इधर से उधर जा रही थीं। सभी हिफाजत की दुआ कर रहे थे। हालात इतने खराब थे कि मशहद के जिस होटल में रुके थे, वहां से बाहर निकलने की किसी को इजाजत नहीं थी। होटल की गैलरी में खड़े होकर ईरान व इजरायल के बीच जंग के दौरान हम आसमान से बरसती आग देख रहे थे। इस बीच भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने संपर्क किया तो लगा कि अब घर पहुंचना मुश्किल नहीं है।
मिशन सिंधु के तहत ईरान से भारत वापस आकर बेहद सुकून मिला है। भारत सरकार ने ईरान में अपने नागरिकों की सुरक्षा, उनको वापस लाने के लिए जो कदम उठाए हैं, उसकी जितनी सराहना की जाए कम है। ग्वालटोली निवासी शाजिया रिजवी ने भारत लौटने पर दैनिक जागरण के साथ ईरान में युद्ध के दौरान आंखों देखा हाल बयां किया।
शाजिया ईरान व इराक में जियारत के लिए 26 मई को मकबरा ग्वालटोली से रवाना हुई थीं। दिल्ली से 27 मई को उनकी फ्लाइट इराक रवाना हुई। सफर के दौरान उनके साथ उत्तर प्रदेश के 40 जायरीन और थे।
वे बताती हैं कि इराक में उन्होंने नजफ, कर्बला समेत अन्य पवित्र स्थलों की जियारत की। वहां 10 दिन जियारत करने के बाद ईरान के लिए रवाना हुए। जब ईरान पहुंचे तो हालात सामान्य थे। जिस दिन भारत के लिए वापसी थी, उससे दो दिन पहले इजरायल और ईरान के बीच युद्ध शुरू हो गया। इससे 17 जून को आने वाली फ्लाइट रद कर दी गई। सभी जायरीन को जिस होटल में ठहराया गया था, वहां से बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी।
होटल से ही आसमान पर युद्ध के दृश्य दिखाई दे रहे थे। सभी लोग हिफाजत की दुआ कर रहे थे। ऐसे मुश्किल वक्त में भारत सरकार ने मिशन सिंधु की शुरुआत कर ईरान में फंसे भारतीयों को सुरक्षित वापस लाने की पहल की। उनकी फ्लाइट सोमवार सुबह दिल्ली पहुंची। वहां से वह वंदे भारत ट्रेन से कानपुर आईं।
भारतीय दूतावास ने की मदद, फ्लाइट का किराया नहीं
शाजिया बताती हैं कि भारतीय दूतावास ने सभी जायरीनों की मदद की। मिशन सिंधु के तहत सभी को चार दिनों के लिए पांच सितारा होटल में निश्शुल्क ठहराया गया। भारतीय दूतावास की निगरानी में बस में बैठाकर मशहद एयरपोर्ट लाया गया। यहां से फ्लाइट के जरिये दिल्ली एयरपोर्ट लाया गया। फ्लाइट का किराया भी नहीं लिया गया। अब अपने देश वापस आकर राहत महसूस हो रही है। इस मुश्किल वक्त में भारत सरकार ने अपने नागरिकों को अकेला नहीं छोड़ा।