व्यापार: विकसित भारत का रास्ता केवल ढांचागत विकास ने नहीं बनेगा। गुणवत्ता प्रबंधन इसमें अहम भूमिका निभाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंडियन फाउंडेशन फॉर क्वालिटी मैनेजमेंट (IFQM) के वार्षिक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए यह बात कही।
सीतारमण ने कहा कि विकसित भारत का मार्ग केवल अधोसंरचना निर्माण या मानव संसाधन प्रशिक्षण में मामूली सुधार से नहीं बनेगा, बल्कि इसके लिए गुणवत्ता प्रबंधन की गहन समझ और उद्योग जगत से अनुभवी इनपुट जरूरी है। यही हस्तक्षेप भारत में उत्पादन और सेवाओं की गुणवत्ता को नए स्तर पर ले जाएगा।
कौशल विकास को दी जा रही प्राथमिकता
सीतारमण ने कहा कि बीते दो-तीन वर्षों से हर बजट में कौशल विकास को प्राथमिकता दी गई है। केवल प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों तक सीमित न रहते हुए युवाओं को विभिन्न प्राधिकरणों और उद्योग योजनाओं से जोड़ा जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिला स्तर पर मौजूद औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (ITIs) को 'हब एंड स्पोक मॉडल' के तहत अपग्रेड कर एआई संचालित प्रशिक्षण केंद्र बनाने के लिए केंद्र सरकार वित्तीय सहयोग दे रही है।
अंतरिक्ष और परमाणु तकनीक को जोड़ा गया
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि सरकार ने कुछ 'संस्थानों को उत्कृष्टता केंद्र' के रूप में चिन्हित किया है, जहां एआई आधारित अनुसंधान और प्रशिक्षण कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और शहरी जीवन जैसे चार क्षेत्रों पर केंद्रित होगा। नीति आयोग ने हाल ही में इसमें 'अंतरिक्ष और परमाणु तकनीक' को पांचवें क्षेत्र के रूप में जोड़ा है। इन संस्थानों में शोध और विशेषज्ञता से युवाओं को नए अवसर मिलेंगे।
भारत-सिंगापुर सहयोग
सीतारमण ने भारत-सिंगापुर सहयोग का जिक्र करते हुए कहा कि हाल ही में आयोजित 'इंडिया-सिंगापुर मिनिस्टीरियल राउंडटेबल' में गुणवत्ता प्रबंधन, तकनीक और उत्पादकता सुधार पर गहन चर्चा हुई। सिंगापुर भारत के साथ मिलकर प्रशिक्षण और क्वालिटी सर्टिफिकेशन में मदद कर रहा है। इस दिशा में काम जारी है। 

 
			 
			 
			 
			